सवालों की जद में लोकायुक्त SP, डिप्टी डायरेक्टर को बिना कार्रवाई छोडने का आरोप

Bhopal Samachar
जबलपुर लोकायुक्त पुलिस के एसपी अनिल विश्वकर्मा खुद सवालों की जद में आ गए हैं। लोकायुक्त पुलिस रिश्वत और भ्रष्टाचार के खिलाफ काम करती है परंतु इस बार लोकायुक्त एसपी पर इसी तरह की उंगलियां उठ रहीं हैं। आरोप है कि लोकायुक्त पुलिस ने 29 सितंबर को जबलपुर में उद्यानिकी विभाग के संयुक्त संचालक (जेडी) आरबी राजोदिया को 1.25 लाख रु. की रिश्वत लेते उनके निजी घर पर रंगेहाथों पकड़ा था, जिस समय रिश्वत ली गई, और जेडी को अरेस्ट किया गया, डिप्टी डायरेक्टर (डीडी) राजेंद्र राजोरिया कमरे में मौजूद थे, बावजूद इसके डिप्टी डायरेक्टर को किसी भी प्रकार की कार्रवाई की जद में नहीं​ लिया गया। एसपी लोकायुक्त ने उन्हे एक मेहमान बताकर पूरी कार्रवाई से ही बाहर कर दिया। 

लोकायुक्त एसपी का स्पष्टीकरण

लोकायुक्त एसपी अनिल विश्वकर्मा ने डिप्टी डायरेक्टर राजेंद्र राजोरिया को छोड़ने पर तर्क दिया है कि वे तो संयोग से मौजूद थे। कमरे में डीडी थे, लेकिन उनकी डिमांड नहीं थी। वे जेडी के घर संयोग से रुके थे। फरियादी पैसे देने काफी देर से बैठा था। हम कार्रवाई कैसे कर सकते थे। यह कार्रवाई डीएसपी जेपी वर्मा के नेतृत्व में की गई थी। राजोदिया ने मजीठा नर्सरी संचालक दीपांकर अग्रवाल से नमामि देवी नर्मदे योजना में 25 लाख रुपए का भुगतान करने के एवज में रिश्वत मांगी थी।

डिप्टी डायरेक्टर राजेंद्र राजोरिया जबलपुर में क्या कर रहे थे

लोकायुक्त पुलिस के दबिश देते ही राजोदिया नकदी फेंककर बाथरूम में छुप गया था। यह कार्रवाई राजोरिया की मौजूदगी में हुई। पुलिस ने राजोरिया से जबलपुर आने की वजह पूछी, तो वे कोई ठोस वजह नहीं बता पाए। उन्हें कार्रवाई में तीन से चार घंटे तक बैठाया गया। लोकायुक्त एसपी अनिल विश्वकर्मा के पहुंचने के बाद राजोरिया को छोड़ दिया गया।  

पत्रकार शैलेन्द्र चौहान के सवाल

सवाल : जेडी-डीडी की फोन पर बातचीत रिकॉर्ड में क्यों नहीं ली
नमामि देवी नर्मदे के प्रदेश में संचालन के लिए नोडल अफसर राजोरिया हैं। वे आदान-प्रदान और भुगतान प्रक्रिया को देखते हैं।
राजोदिया ने भोपाल से आए अपने ही विभाग के सीनियर अफसर(डीडी) की मौजूदगी में आखिर रिश्वत के पैसे लेने पर कैसे सहमति दे दी।
लोकायुक्त जांच में नर्सरी संचालक, जेडी और डीडी के मोबाइल नंबरों पर आपसी बातचीत को रिकॉर्ड में क्यों नहीं लिया है।
डिप्टी डायरेक्टर राजोरिया उसी दिन जबलपुर क्योंं गए थे, जबकि विभाग के हाईकोर्ट से जुड़े मामले में रविवार को कोई पेशी नहीं थी।
सीहोर में पदस्थापना के दौरान राजोरिया को कलेक्टर ने 1.9 करोड़ के गबन में दोषी पाया है। लोकायुक्त ने इसे संज्ञान में क्यों नहीं लिया।

मंत्री का आशीर्वाद प्राप्त है

डिप्टी डायरेक्टर राजेंद्र राजोरिया ने कहा कि हाईकोर्ट पेशी के लिए जबलपुर पहुंचा था। जेडी उसके आईओसी थे। इसलिए जवाब तैयार करवाना था। मंत्री और डायरेक्टर को घटना से अवगत करा दिया था।
Tags

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!