देवास। राज्य कर (वाणिज्यिक कर) विभाग ने फर्जी फर्मों के जरिए इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) हासिल कर शासन को चूना लगाने का एक और घोटाला पकड़ा है। विभाग की एंटी इवेजन विंग-ए ने देवास में 6 फर्मों पर छापेमार कार्रवाई की। प्रारंभिक जांच में फर्मों के फर्जी होने और घोटाले को अंजाम देने के लिए संचालित होने की पुष्टि हुई है। घोटाले के तार तेल मिलों से जुड़ रहे हैं।
संयुक्त आयुक्त (राज्य कर) मनोज चौबे की अगुवाई में एंटी इवेजन विंग के 40 अधिकारियों ने एक साथ देवास में दबिश दी। 6 फर्मों के कुल 12 ठिकानों पर अधिकारी जांच के लिए पहुंचे। विभागीय सूत्रों के अनुसार जांच में कम्प्यूटर रिकॉर्ड, दस्तावेज और कई बिल मिले हैं। इन सभी से पुष्टि हुई है कि ये सभी फर्में असल में कारोबार नहीं कर, सिर्फ कागजों पर व्यापार दिखा रही थी। सभी फर्मों सोयाबीन व सोया उत्पाद व डीओसी आदि की खरीदी-बिक्री दिखाती थीं।
फर्जी तरीके से टैक्स की एंट्री कर आईटीसी हासिल किया था। इस आईटीसी को आगे तेल मिलों को फॉरवर्ड किया जा रहा था। तेल मिलें इस आईटीसी का लाभ ले रही थीं। प्रारंभिक जांच में ही फर्जी बिलों से 4 करोड़ का आईटीसी हासिल करने के तथ्य मिल चुके हैं। जांच आगे बढ़ाते हुए तेल मिलों को भी दायरे में ले लिया है।
विभाग को शक है कि मिल वालों ने ही अपने फायदे के लिए फर्जी तरीके से इन फर्मों को खड़ा किया है। इससे पहले जुलाई में भी वाणिज्यिकर विभाग फर्जी आईटीसी का बड़ा घोटाला इंदौर में पकड़ चुका है। उसके तार भी देश के अलग-अलग राज्यों की बड़ी फर्मों और कंपनियों से जुड़े हैं।
किराए की टैक्सी कर शादी में शामिल होने आए
वाणिज्यिक कर विभाग के 37 अधिकारी-कर्मचारियों ने इस कार्रवाई को अंजाम दिया। सभी अधिकारी-कर्मचारी देवास के एक होटल में किराए की टैक्सियों से पहुंचे। बताया जाता है कि होटल में भी यही दर्शाया गया कि सभी लोग एक शादी समारोह में शामिल होने आए हैं। स्थानीय प्रशासन को ऊपरी स्तर पर सूचित कर दिया गया था कि कोई गोपनीय कार्रवाई होने वाली है। आधा दर्जन महिला अधिकारी भी साथ थीं।