भोपाल। मध्य प्रदेश के सबसे हाई प्रोफाइल हनी ट्रैप मामले में 5 महिलाओं के मोबाइल व हार्ड डिस्क के जब्त किए गए वीडियो कभी भी लीक हो सकते हैं। सरकार भाषा में इन्हे 'गोपनीय' जरूर कहा गया है परंतु उनकी गोपनियता तो पता नहीं कब की भंग हो चुकी है। कोई बडी बात नहीं कि यह किसी गंदी बेवसाइट पर नजर आ जाएं।
फुल प्रूफ की गारंटी कोई नहीं दे सकता
बता दें कि 10 दिन में तीसरी बार एसआईटी में बदलाव और इंदौर पुलिस की शुरुआती जांच से लेकर अब तक करीब 40 लोगों के हाथ से इस हाईप्रोफाइल केस से जुड़ा कंटेंट यानी वीडियो व चैट इत्यादि गुजरा है। खुद पुलिस अफसर भी मान रहे हैं कि हनी ट्रैप का कंटेंट बहुत फुल प्रूफ होने की सौ फीसदी गारंटी कोई नहीं दे सकता। अलग-अलग अफसरों ने कोर्ट में भी हनी ट्रैप से जुड़े कई दस्तावेज व साक्ष्य पेश किए हैं। ऐसे में सरकार द्वारा बनाई गई नई एसआईटी कंटेंट की गोपनीयता को लेकर खास एहतियात बरत रही है। गुरुवार को नए एसआईटी चीफ डीजी राजेंद्र कुमार ने कार्यभार संभाल लिया। एटीएस चीफ का प्रभार संजीव शमी ने एडीजी राजेश गुप्ता को सौंप दिया।
राजेंद्र कुमार ने शमी से लिए दस्तावेज
डीजी राजेंद्र कुमार ने सायबर मुख्यालय में शाम 6 बजे संजीव शमी से ढाई घंटे बंद कमरे में बात की। शमी ने केस से जुड़े इलेक्ट्रॉनिक और दस्तावेजी साक्ष्य डीजी को सौंप दिए हैं। इससे पहले मंगलवार को एसआईटी चीफ बनने के बाद राजेंद्र ने इंदौर में एसएसपी रुचिवर्धन मिश्र और अन्य अधिकारियों से जानकारी प्राप्त की थी। हालांकि राजेंद्र कुमार ने मीडिया से बातचीत करने से इनकार कर दिया।
इसलिए उठ रहे सवाल
17 सितंबर : इंदौर के पलासिया थाने में पहली एफआईआर हुई। तब जांच में 15 से ज्यादा पुलिसकर्मी शामिल थे।
20 सितंबर : मामले की एफआईआर करने वाले टीआई अजीत सिंह बैस को हटाया।
23 सितंबर : आईजी डी श्रीनिवास वर्मा की अध्यक्षता में एसआईटी बनी। इसमें इंदौर एसएसपी रुचिवर्धन मिश्र सहित 6 अफसर थे।
24 सितंबर : वर्मा को हटाकर संजीव शमी को एसआईटी चीफ बनाया। इस टीम में दो नए अधिकारी शामिल किए गए।
1 अक्टूबर: राजेंद्र कुमार एसआईटी के नए चीफ बने। तीन सदस्यीय टीम बनी। आदेश में लिखा है कि जरूरत के अनुसार अन्य पुलिस अधिकारी की सेवाएं भी ली जा सकेगी।