आचार्य रमन। आज के युग में आधुनिक ज्योतिषियों द्वारा कई तरह की वस्तुओं को आपकी राशी इत्यादि से मिला कर बताया जा रहा है जैसे राशी के अनुकूल कपडे रुमाल रंग आदि। कुछ दिन पहले मेरा एक मित्र एक दुकान से टूथपेस्ट खरीद कर लाया जो की आयुर्वेदिक था और रंग में लाल था। मैंने उस से पूछा की उसने यही क्यों खरीदा तो उसने जवाब दिया की मैं तो सफ़ेद रंग का खरीदने गया था पता नहीं कैसे ये वाला ले आया। मैंने उत्सुकता वश उस से पूछा की अपनी कुंडली दिखाओ, उसकी कुंडली में मंगल का अंतर चल रहा था।
इसके पहले वो सफ़ेद रंग का टूथपेस्ट इस्तेमाल किया करता था जब उसका चंद्रमा का अंतर चल रहा था। तब मुझे ग्रहों के आकर्षण बल का एक और उदाहरण पता चला। ग्रहों के कारण हमारी विकल्प की क्षमता प्रभावित होती चली जाती है, जब एक साधारण से मंजन को हम अपनी इच्छा से नहीं खरीद सकते तो बाकी की क्या बात कीजियेगा।
यह ज़रूरी नहीं है की सब के साथ ऐसा ही हो मगर मैंने इस सम्बन्ध में कई लोगों से पूछा और मुझे पता चला की अनजाने में ही लोग उसी रंग का मंजन इस्तेमाल कर रहे हैं जिस गृह की अंतर या प्रत्यंतर दशा चल रही है। मेरे लेख सोशल मीडिया में भी लगातार रहते हैं और वहाँ से भी मुझे ये परिणाम मिला। जैसे भौतिकी के नियमों में अपवाद हैं वैसे ही सब जगह हैं, और ज्योतिष में भी हैं।
क्या हम जो कर रहे हैं वो हम ही कर रहे हैं या कोई अंदरूनी या बाहरी बल के कारण हमारे कार्य और कर्म बदलते चले जा रहे हैं और हम मशीनों की तरह अनजाने जिए जा रहे हैं ? हमारी पसंद असला में हमारी ही है या उसका आधार कहीं और है ? संयुक्त परिवारों में भी सभी सदस्य अलग अलग तरह के रंग और स्वाद का मंजन इस्तेमाल करते हैं।
सभी ग्रहों के रंग इस प्रकार हैं :
१) सूर्य : चमकीला लाल
२) चन्द्र : सफ़ेद
३) मंगल : रक्त लाल
४) बुध : हरा
५) गुरु : पीला
६) शुक्र : चमकीला सफ़ेद , हीरे जैसा .
७) शनि : बुझा हुआ काला
८) राहू : मटमैला / काला
९) केतु : चितकबरा / सफ़ेद
अगली बार जब आप पेस्ट करें तो देखिएगा की आपकी महादशा में कौन सा अंतर या प्रत्यंतर चल रहा है और अधिकतर लोग ये पायंगे की उसी गृह के रंग का मंजन आपके हाथ में है। आपके पास यदि कई विकल्प हो, जैसे की संयुक्त परिवारों में होता है तो भी आप अनजाने ही वोही रंग का मंजन इस्तेमाल करेंगे जिसके स्वामी का समय चल रहा है।
यदि ऐसा नहीं है , या जिस गृह का अंतर / प्रत्यंतर चल रहा है वह आपकी कुंडली में खराब है तो आपको उस गृह के रंग के मंजन का इस्तेमाल शुरू करना चहिये जो की लाभेश अथवा धनेश अथवा षष्ठेश है क्योंकि कुंडली में येही सबसे प्रबल धन दायी भाव होते हैं। ऐसा करने से आप स्वयमेव ही अपने लिए एक उपाय रोज़ नियम से करेंगे वह भी बिना चूक और महंगे रत्न आदि के चक्कर से भी बच जायंगे। रत्न कुछ नहीं होते, कलर थेरेपी ही होते हैं। लाभेश के रंग के मंजन का इस्तेमाल आप वैसे भी कर सकते हैं चाहे उसकी दशा वगेरह हो या न हो।