नई दिल्ली। पाकिस्तान में प्रधानमंत्री इमरान खान की कुर्सी लगातार डोल रही है। अब इमरान खान पर आरोप लगा है कि वो चुनाव में गड़बड़ी करके सत्ता में आए हैं। उन्हे सत्ता से हटाने के लिए विपक्षी पार्टियां लामबंद हो गईं हैं। वो आजादी मार्च के नाम पर सत्ता बदल आंदोलन की तैयारी कर रहीं हैंं इधर पीएम इमरान खान अपनी कुर्सी बचाने हेतु इस आंदोलन को कुचलने सेना उतारने की रणनीति पर विचार कर रहे हैं।
क्या है पूरा ममला?
सूत्रों के मुताबिक जमीयत उलेमा ए इस्लाम (जेयूआई-एफ) के प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान रहमान ने घोषणा की है कि वह 31 अक्टूबर को इमरान सरकार के खिलाफ इस्लामाबाद में प्रदर्शन करेंगे। इस प्रदर्शन को कई प्रमुख विपक्षी दलों ने 'आजादी मार्च' को अपना समर्थन देने की घोषणा की है। इन प्रमुख विपक्षी दलों में पीएमएल-एन, पीपीपी, एएनपी और पीकेएमएपी सहित सभी प्रमुख विपक्षी दल शामिल हैं। एक समचार एजेंसी के अनुसार इमरान सरकार इस विरोध मार्च से निपटने के लिए रणनीति तैयार कर रही है। इसको लेकर इमरान सरकार राजधानी में सशस्त्र बलों को बुलाने के विकल्प पर विचार कर रही है।
इमरान खान के घर हुई बैठक
सूत्रों के मुताबिक हाल ही में इमरान खान ने अपने आवास पर कानून व्यवस्था संबंधी बैठक बुलाई थी। इस बैठक में इमरान ने 'आजादी मार्च' को लेकर विशेष चर्चा की, जिसमें आजादी मार्च से निपटने के लिए कई विकल्पों पर भी चर्चा हुई। सूत्रों ने ये भी बताया कि इस बैठक में संवेदनशील सरकारी प्रतिष्ठानों और विदेशी दूतावासों की सुरक्षा के बारे में भी चर्चा हुई है। साथ ही बैठक में शामिल होने वाले प्रमुखों ने इस बात पर अपनी सहमति जताई कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन हर किसी का अधिकार है, लेकिन किसी को भी इस्लामाबाद की घेराबंदी करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
बैठक में तय किया गया कि सरकार मौलान सहित सभी विपक्षी दलों से बात करेगी। अगर ये बातचीत विफल होती हे तो महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों और सरकारी इमारतों की सुरक्षा के लिए सेना तैनात की जाएगी. रिपोर्ट में कहा गया कि इस बारे में अंतिम फैसला गृह मंत्रालय करेगा कि सेना की तैनाती की जानी है या नहीं।