भोपाल। मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में सरकारी स्कूल के भवन में प्राइवेट सरस्वती शिशु मंदिर का संचालन किया जा रहा था। चौंकाने वाली बात यह है कि सरकारी भवन में प्राइवेट स्कूल पिछले 10 साल से संचालित हो रहा था। 2008 में स्कूल संचालन शुरू हुआ था जब मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह सरकार थी। बड़ा सवाल ये है कि क्या मध्यप्रदेश में केवल यह अकेला सरकारी भवन है जिसमें प्राइवेट स्कूल का संचालन किया जाता है या फिर अन्य सरकारी स्कूल भवनों पर भी प्राइवेट सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल का कब्जा है।
एसडीएम राधेश्याम बघेल ने सरकारी भवन में प्राइवेट स्कूल पर पकड़ा
बैतूल जिले के आठनेर ब्लॉक के कावला गांव के सरकारी स्कूल की पुरानी बिल्डिंग में बैतूल की समर्थ शिक्षा समिति के सदस्याें के माध्यम से सरस्वती शिशु मंदिर का संचालन किया जा रहा था। वहीं सरकारी प्राइमरी स्कूल इसी कैंपस में नई बिल्डिंग में संचालित हो रही है। गांव में अचानक हुई पशुओं की मौत के बाद निरीक्षण करने पहुंचे एसडीएम राधेश्याम बघेल ने इस मामले का खुलासा किया। वह सरकारी स्कूल के भवन में प्राइवेट स्कूल के संचालन को देखकर चौक गए। एसडीएम ने बीईओ समेत अन्य अधिकारियों को तलब किया। इस तरह सरकारी स्कूल की बिल्डिंग में प्राइवेट स्कूल का संचालन हाेने पर नाराजगी व्यक्ति की। दस्तावेज जब्त किए। सरकारी बिल्डिंग खाली कराई। एसडीएम ने तहसीलदार समेत अधिकारियों को मामले से जुड़े अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। बीआरसी सुखदेव सूर्यवंशी ने बताया छह महीने पहले ही पदस्थ हुआ। पंचायत के माध्यम से सरकारी भवन प्राइवेट स्कूल को दिया गया।
बीईओ, प्रधानपाठक, सरपंच, सचिव पर संदेह
इस मामले में सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या इस स्कूल के संचालन की जिला शिक्षा अधिकारी, प्रधानपाठक, जनशिक्षक तथा ट्राइबल विभाग के अधिकारियों और सरपंच व सचिव काे जानकारी नहीं थी या सबकुछ इनकी मिली भगत से हाे रहा था। क्याेंकि सरकारी बिल्डिंग में प्राइवेट स्कूल का संचालन बिना अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के मिली भगत के नहीं हाे सकता। इसलिए इन सबकी भूमिका संदिग्ध है।
अधिकारियाें के निरीक्षण भी संदेह के दायरे में
आठनेर जनपद शिक्षा केंद्र के अनुमोदन पर शिक्षा विभाग ने प्राइवेट स्कूल खाेलने की अनुमति दी थी। इस मामले में शिक्षा विभाग के अधिकारियों के निरीक्षण काे लेकर सवाल उठ रहे हैं कि सरकारी स्कूल की बिल्डिंग में प्राइवेट स्कूल संचालित हाे रहा है। ऐसे में ब्लाॅक व जिले के अधिकारी क्या निरीक्षण करते हैं।
2008-09 में जारी की गई थी मान्यता
यह स्कूल पिछले 10 सालाें से संचालित हाे रहा था। शिक्षा विभाग ने 2008-09 में प्राइवेट स्कूल का संचालन करने की मान्यता दी थी। शिक्षा विभाग के अधिकारियों की इस लापरवाही काे लेकर तहसीलदार ने मामले में ग्रामीणों के समक्ष पंचनामा बनाकर स्कूल संचालक के खिलाफ कार्रवाई करने जांच शुरू कर दी है।
ग्राम पंचायत ने दी थी प्राइवेट स्कूल संचालन की अनुमति
कावला गांव में सरकारी स्कूल की बिल्डिंग में प्राइवेट स्कूल संचालन के मामले में जनपद शिक्षा केंद्र आठनेर के कार्यालय के कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध है। ग्रामीणों के अनुसार ग्राम पंचायत और निजी स्कूल संचालक के बीच प्राइवेट स्कूल संचालन के लिए करार किया गया था। अब मामला सामने आने पर धीरे-धीरे सब खुलासा हाे रहा है।