भोपाल। मध्य प्रदेश शासन के नगरीय निकाय, पीएचई, पीडब्ल्यूडी, पंचायत विभाग, जल संसाधन सहित दर्जनभर से अधिक शासकीय विभागों में सब-इंजीनियर (उपयंत्री) के करीब 10 हजार पद रिक्त हैं, जल्द ही इनके लिए भर्ती परीक्षा आयोजित होने वाली है लेकिन इस संभावित परीक्षा में उम्मीदवारों की निर्धारित योग्यता को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। परीक्षा का आयोजन प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड द्वारा किया जाएगा। नए नियमों से डिप्लोमा होल्डर्स नाराज हैं। वह लोग लामबंद हो रहे हैं।
डिप्लोमा के अलावा डिग्री होल्डर्स भी पात्र होंगे
2013 में हुई भर्ती परीक्षा में गजट नोटिफिकेशन के अनुसार ही नियम थे। यानी इसके लिए पॉलिटेक्निक डिप्लोमा होल्डर ही पात्र थे। इसके बाद सरकार ने शैक्षणिक योग्यता बदल दी है। अब डिप्लोमा वालों के अलावा बीटेक, एमटेक, आईआईटी उत्तीर्ण भी भाग ले सकते हैं, जबकि उत्तरप्रदेश, बिहार, राजस्थान, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र सहित देश के तमाम राज्यों में सिर्फ पॉलिटेक्निक डिप्लोमा वालों को ही अवसर दिया जाता है। केवल मध्य प्रदेश में ही उच्च डिग्रीधारी प्रतिभागियों को शामिल किया गया है। इसके चलते डिप्लोमाधारक प्रतिभागियों के परीक्षा में चयन के अवसर लगभग खत्म हो गए हैं। शासकीय नौकरी पाने के लिए किया गया डिप्लोमा कोर्स एक तरह से अनुपयोगी हो गया है।
डिप्लोमा कोर्स करने का क्या फायदा
पीईबी ने जब भी उपयंत्री भर्ती परीक्षा आयोजित की है, उसमें शैक्षणिक योग्यता पॉलिटेक्निक डिप्लोमा ही मान्य था। इस वजह से हजारों युवा पॉलिटेक्निक कॉलेजों से डिप्लोमा कोर्स करते थे। उन्हें नौकरी में अवसर भी मिलते रहे हैं, लेकिन अब डिप्लोमा कोर्स करने पर सवाल खड़े हो गए हैं। इसे लेकर प्रदेश के डिप्लोमाधारियों में आक्रोश है। उन्होंने बताया कि वे सरकार से नया नियम रद्द करने की गुहार लगा रहे हैं। यदि सबको ही मौका देना है तो फिर सरकार को डिप्लोमा कोर्स बंद कर देना चाहिए।
डिप्लोमा इसलिए किया ताकि उपयंत्री बन सकें
पॉलिटेक्निक डिप्लोमा कर चुके बीएस मंडलोई, नीरज तिवारी, रेणुका ठाकुर, सीमा प्रजापति सहित कई अन्य का कहना है कि हमने बहुत मेहनत कर डिप्लोमा किया, ताकि शासकीय विभागों ने उपयंत्री बन सकें। शासन ने नियम बदलकर हमसे नौकरी का अवसर छीन लिया है। डिप्लोमा वालों से अधिक नॉलेज आईआईटी और एमटेक पासआउट के पास होता है, इसलिए उनका चयन होगा, हमारा डिप्लोमा करना बेकार हो जाएगा।