नई दिल्ली। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में भारत सरकार की मंत्रिमंडल ने अध्यादेश का स्थान लेने के लिए कर कानून (संशोधन) विधेयक, 2019 को मंजूरी दे दी है।
वित्त (संख्या-2) अधिनियम, 2019 (वित्त अधिनियम) के लागू होने के बाद आर्थिक विकास तथा विश्व भर में कॉरपोरेट आयकर में कटौती के मद्देनजर अतिरिक्त वित्तीय प्रोत्साहन का प्रावधान किया जाना आवश्यक हो गया था, ताकि निवेश को आकर्षित किया जा सके, रोजगार का सृजन हो और अर्थव्यवस्था में बढ़ोतरी हो। चूंकि संसद का सत्र नहीं चल रहा था, इसलिए आयकर अधिनियम, 1961 या वित्त अधिनियम में संशोधन के जरिए इस उद्देश्य की प्राप्ति की जा सकती थी, इसलिए सितंबर, 2019 में कर कानून (संशोधन) अध्यादेश 2019 को लागू करके यह कार्य किया गया। अध्यादेश द्वारा किए जाने वाले संशोधनों की मुख्य विशेषताएं नीचे दी जा रही हैं।
वृद्धि और निवेश को प्रोत्साहन देने के लिए आयकर अधिनियम में एक नया प्रावधान जोड़ा गया, जिसके तहत वर्तमान वित्त वर्ष 2019-20 से कारगर होकर मौजूदा घरेलू कंपनी 10 प्रतिशत सरचार्ज सहित 22 प्रतिशत तथा 4 प्रतिशत उपकर के आधार पर कर देने का विकल्प ले सकती हैं, बशर्ते वह कोई कटौती या प्रोत्साहन का दावा नहीं करतीं। इन कंपनियों के लिए कारगर टैक्स दर 25.17 प्रतिशत हो गया है। ये कंपनियां न्यूनतम वैकल्पिक टैक्स के अधीन नहीं होंगी।
निर्माण क्षेत्र में ताजा निवेश को आकर्षित करने और सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल को बढ़ावा देने के लिए आयकर अधिनियम में एक अन्य प्रावधान जोड़ा गया है। इसके तहत एक अक्टूबर, 2019 को या उसके बाद स्थापित होने वाली घरेलू निर्माण कंपनी, जो 31 मार्च, 2023 तक निर्माण कार्य शुरू करेगी, ऐसी कंपनियां 10 प्रतिशत सरचार्ज सहित 15 प्रतिशत तथा 4 प्रतिशत उपकर के आधार पर कर देने का विकल्प ले सकती हैं, बशर्ते वह कोई कटौती या प्रोत्साहन का दावा नहीं करतीं। इन कंपनियों के लिए कारगर टैक्स दर 17.16 प्रतिशत हो गई है। ये कंपनियां न्यूनतम वैकल्पिक टैक्स के अधीन नहीं होंगी।
जो कंपनी रियायती कर कानून और कर छूट/प्रोत्साहन का विकल्प नहीं लेतीं, वे संशोधन पूर्व दर पर कर का भुगतान जारी रखेंगी। बहरहाल, कर छूट अवधि के समाप्त हो जाने के बाद वे रियायती कर कानून का विकल्प ले सकती हैं। विकल्प लेने के बाद उन्हें 22 प्रतिशत की दर से कर भुगतान करना होगा। इसके अलावा आदेश के तहत उन कंपनियों को राहत दी जा रही है, जो छूट/प्रोत्साहन लेना जारी रखेंगी। इसके मद्देनजर न्यूनतम वैकल्पिक कर मौजूदा 18.5 प्रतिशत से घटकर 15 प्रतिशत किया गया।
वित्त अधिनियम के जरिए जिन सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरों पर बाई-बैक टैक्स की राहत मिल रही है, वह राहत 5 जुलाई, 2019 के पहले बाजार में शेयर उतारने वाली सूचीबद्ध कंपनियों को नहीं मिलेगी।
पूंजी बाजार में निधियों के प्रवाह को स्थिर बनाने के लिए यह प्रावधान किया गया है कि वित्त अधिनियम के जरिए सूचीबद्ध शेयर के अंतरण या इकाईयों के अंतरण के मद्देनजर पूंजी लाभ की प्राप्ति पर लगने वाला बढ़ा हुआ सरचार्ज यहां लागू नहीं होगा। इसके अलावा यह भी प्रावधान किया गया है कि बढ़ा हुआ सरचार्ज किसी प्रतिभूति के अंतरण से पैदा होने वाले एफपीआई के पूंजी लाभ पर लागू नहीं होगा।