ग्वालियर। विकास नगर स्थित ग्वालियर चंबल संभाग के प्रथम सांईं बाबा मंदिर में भोग लगाने के लिए भक्तों को तीन साल यानि वर्ष 2023 तक का इंतजार करना पड़ रहा है। गत दिवस मंदिर में आए दो भक्तों को सांईं भक्त मंडल द्वारा 2023 अगस्त की तारीख बाबा के भोग के लिए दी गई। भक्तों को वेटिंग का सामना करना पड़ रहा है। यानी सांईं बाबा मंदिर में अगर आप आज भोग लगाने के लिए नम्बर बुक कराते हैं तो तीन साल बाद आपका नंबर आएगा। इस वेटिंग की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
बता दें कि सांईं बाबा मंदिर में लगभग 40 वर्ष पहले बना था। शहर का यह पहला मंदिर है जो भव्य रूप से शिरड़ी के सांईं बाबा मंदिर की तर्ज पर बनाया गया था। आस्था के चलते मंदिर में शहर ही नहीं बल्कि राजस्थान, उत्तरप्रदेश, गुजरात और अन्य शहरों से साईंभक्त आते हैं। जानकारी के अनुसार शुरुआत में सांईं बाबा को सुबह और शाम एक-एक थाली का भोग लगता था। ऐसे में पांच-पांच साल की वेटिंग होने लगी। जिसके बाद मंदिर प्रबंधन ने सुबह और शाम दो- दो थालियों का भोग लगाना शुरू किया, लेकिन फिर भी भी तीन साल से ज्यादा की वेटिंग चल रही है और यह वेटिंग हर दिन बढ़ रही है। गोहद निवासी श्याम समाधिया ने तीन दिन पहले नंबर लगाया है। अब उनका तीन साल बाद भोजन भोग साई नाथ को लगेगा। उनका कहना है कि आस्था का मामला है, इसलिए इंतजार करने में कोई हर्ज नहीं।
मंदिर के पुजारी के अनुसार मंदिर में पिछले 25 वर्ष से बाबा का भोग लगाया जा रहा है। भक्तों की मनोकामना पूरी होती है तो वे बाबा का भोग लगाते हैं। शुरूआती दौर में जब बाबा का भोग लगाने की परंपरा शुरू हुई तो मंदिर प्रबंधन 51 रुपए की रसीद काटता था। यह अब बढक़र 300 रुपए हो गई है। भोग लगाने के लिए भक्तों को वेटिंग मिल रही है। मंदिर प्रबंधन भक्तों को कहते हैं कि कई वर्षों के बाद आपका नंबर आएगा, लेकिन भक्तों को इससे कोई परेशानी हैं।
सांईं नाथ महाराज का भोग का शुल्क भक्तों द्वारा दिया जाता है। इस शुल्क में दो सब्जी, रायता और एक मिठाई जिसमें खीर या हलवा शामिल होता है, मंदिर की रसोई में ही बनाया जाता है। भोग का निर्माण सिर्फ देशी घी में ही होता है। तैयार होने के बाद चंादी की थाली, कटोरी, गिलास और चम्मच में परोसकर बाबा के चरणों में रखा जाता है। इसके बाद पूजा-अर्चना कर भक्तों को दिया जाता है।