जबलपुर। शहर की सड़कों पर मौजूद गड्ढे अब दोगुना दर्द दे रहे हैं। गड्ढों का दर्द तो है ही उसके साथ सड़क मरम्मत घोटाले का दर्द भी है। शहर वासियों को जिन गड्ढों पर झटके लग रहे हैं, दरअसल सरकारी दस्तावेजों में वह भरे जा चुके हैं।
नगर निगम ने नवंबर माह की रिपोर्ट में सिर्फ इस बात का उल्लेख है कि 74 किलोमीटर लंबाई में सड़कों के गड्ढे भरे गए। इस सुधार कार्य या पेंच वर्क के लिए ही 3 करोड़ 33 लाख खर्च हुए। इतनी बड़ी लंबाई में कितने गड्ढे कितनी बार भरे गए, यह जानकारी सिर्फ निगम अधिकारियों तक सीमित है। खास बात यह है कि जिन गड्ढों को पहले ईंट फोड़कर भरा था, उन्हीं में अब डामर से पेंच वर्क किया जा रहा है।
हकीकत नहीं बता सके अफसर:
शहर में डामर वाली सड़कों पर ही पेंच वर्क किया गया। इनमें शहर के भीतर और उपनगरीय क्षेत्रों की सड़कें शामिल हैं। गोलबाजार, रानीताल, सिविक सेंटर, यादव कॉलोनी, गढ़ा, मेडिकल, अधारताल, विजयनगर सहित दर्जनों ऐसी सड़कों पर बारिश के ठीक बाद गणेश विसर्जन, नवरात्र पर्व में ईंट व निर्माण सामग्री का उपयोग गड्ढे भरने के लिए किया गया। नवरात्र पर्व के बाद दशहरा निकल गया और दीपावली का त्योहार भी चला गया।
निर्माण सामग्री से गड्ढे भरने में भी निगम प्रशासन का अमला दिन रात जुटा हुआ था। इसमें भी लाखों रुपए पहले खर्च किए गए। अब डामर और जीरा गिट्टी मिलाकर गड्ढे भरे जाने लगे। इसमें फिर से उन्हीं सड़कों में पेंच वर्क शुरू किया गया है। जहां पहले भी गड्ढे भरे जा चुके थे।
इतना बताया खर्च:
नवंबर माह में 53 किमी लंबाई की सड़कों पर 2 करोड़ 39 लाख का अनुमानित खर्च करने की योजना बनाई। इस रिपोर्ट में अनुमान से कहीं ज्यादा लंबाई में गड्ढे भरे गए। 53 की जगह सड़कों की लंबाई 74 किमी हो गई। जिसमें 3 करोड़ 33 लाख खर्च किए गए। हालांकि लगातार पेंच वर्क का काम कई जगहों पर किया जा रहा है।
सड़कों के गड्ढे भरने का काम लगातार किया जा रहा है। इस कार्य में अभी तक लाखों रुपए खर्च हो चुके हैं। चूंकि पेंच वर्क वाली सड़कों की संख्या ज्यादा थी, इसलिए समय लगा। त्योहारों के मद्देनजर भी सड़कों को सुधारना पड़ा था।
आशीष कुमार, निगम आयुक्त