भोपाल। राजधानी में जल्द ही टैक्स के दायरे में आ रहीं अखाद्य वस्तुओं की सप्लाई प्रभावित हो सकती है। दरअसल, राजधानी के 60% जीएसटी में पंजीकृत व्यापारियों ने अपने दो रिटर्न फाइल नहीं किए हैं। केंद्र सरकार के नियमों के तहत इन सभी व्यापारियों का जीएसटी पंजीयन निरस्त किया जा सकता है। ऐसे में वे बाहर से माल मंगवाने के लिए ई-वे बिल जेनरेट करके ट्रांसपोर्टर्स को नहीं दे सकेंगे। इसके बिना कोई भी माल सड़क, रेल या फिर एयर कार्गो के जरिए नहीं बुलाया जा सकता। साथ ही वे व्यापारी यह माल यहां से सागर, जबलपुर, विदिशा, होशंगाबाद जैसे दूसरे शहरों को नहीं भेज सकेंगे।
विभागीय सूत्रों ने बताया कि एक जगह टैक्स जमा कराने के बाद जब व्यापारी दूसरी जगह वही माल भेजते हैं तो उन्हें दोबारा टैक्स न देना पड़े इसलिए टैक्स क्रेडिट मिलती है। व्यापारी टैक्स क्रेडिट को दूसरी टैक्स की देनदारियों में समायोजित कर लेता है। पहले वह मनचाहे ढंग से टैक्स क्रेडिट ले रहा था। लेकिन अब उसे यह टैक्स क्रेडिट तभी दी जा रही है तब उससे माल लेने वाले दूसरे शहरों के व्यापारी रिटर्न भर रहे हैं। ऐसे में भोपाल के व्यापारियों की करोड़ों रुपए की टैक्स क्रेडिट फंस गई है। नियमानुसार इसे उनकी ही देनदारी मानी जा रही है। व्यापारी दूसरे शहरों के व्यापारियों के टैक्स भरने का इंतजार कर रहे हैं। इसी के चलते उन्होंने 2 से लेकर 5 रिटर्न तक समय पर फाइल नहीं किए। भोपाल क्षेत्र में कुल 70 हजार पंजीकृत डीलर हैं। इनमें 42 हजार के दो से अधिक रिटर्न भरने बाकी हैं।
रिटर्न न भरने की 2 प्रमुख वजह
1. जमा आईटीसी का केवल 20% एक्स्ट्रा मिल रहा आईटीसी : नए नियमों के तहत किसी व्यापारी का अगर एक लाख रुपए आईटीसी मिलना है। लेकिन उसके टैक्स क्रेडिट खाते 2 ए में केवल 20 हजार रुपए ही दिखाई दे रहा है तो वह 20% और यानी केवल 8 हजार रुपए ही और आईटीसी ले सकता है। शेष 72 हजार रुपए की टैक्स क्रेडिट उसे तब मिलेगी जब माल खरीदने वाला टैक्स जमा करेगा। लेकिन 74 हजार रुपए उन्हें जेब से टैक्स जमा कराने होंगे क्योंकि यह उनकी देनदारी है। ऐसे में व्यापारी रिटर्न नहीं भर रहे।
2. पोर्टल नहीं चल रहा : राजधानी में टैक्स विशेषज्ञ जीएसटी के पोर्टल की धीमी गति से परेशान हैं। जीएसटी विशेषज्ञ राजीव जैन कहते हैं कि तीन दिनों में वे एक भी रिटर्न नहीं भर सके। विभागीय अधिकारियों ने बताया कि पोर्टल ओवरलोड के कारण कई बार डाउन हो जाता है।