नई दिल्ली। सोनिया गांधी की शपथ के बाद सोशल मीडिया पर भाजपा के लोग हमलावर से लेकिन आज दोपहर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के इस्तीफे के बाद एक बार फिर सोशल मीडिया का मौसम बदल गया। लोग सीधे भाजपा अध्यक्ष एवं गृह मंत्री अमित शाह को टारगेट कर रहे हैं। उनका मजाक उड़ाया जा रहा है। #चाणक्य सहित और भी हैशटेग सोशल मीडिया पर ट्रेंड हो रहे हैं। आइए जानते हैं भारतीय जनता पार्टी से कहां चूक हो गई जो यह दिन देखना पड़ा:
- भाजपा का सबसे बड़ा दांव विधायक दल के नेता के रूप में अजित पवार द्वारा जारी होने वाले व्हीप पर था। पार्टी ने सोचा कि स्पीकर उसका होगा तो जैसा चाहेंगे कर लेंगे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने जैसे ही प्रोटेम स्पीकर को ये सभी जिम्मेदारी दी तो समीकरण बिगड़ गए।
- भाजपा ने अजित पवार के रूप में एक कच्चे खिलाड़ी पर दांव लगा दिया। कहा जा रहा है कि यही बात शरद पवार से होती तो आज मंत्रिमंडल शपथ ले रहा होता।
- भाजपा ने शरद पवार को कमजोर समझा और अजित पवार को कुछ ज्यादा तवज्जो दे दी। हालांकि शरद पवार जैसे मंझे खिलाड़ी ने भी कभी सोचा नहीं था कि अजित पवार रातों-रात भाजपा से हाथ मिला लेंगे।
- अजित पवार जो दस्तावेज लाए, भाजपा ने उन पर बिना जांचे-परखे भरोसा कर लिया। अजित पवार द्वारा दिए गए दस्तावेजों को एनसीपी ने तत्काल फर्जी बता दिया। अटेंडेंस वाले कागज को विधायकों का सहमति वाला हस्ताक्षर बताया दिया गया। कुल मिलाकर भाजपा ने जल्दबाजी की।
- केंद्रीय नेतृत्व ने सबकुछ देवेंद्र फडणवीस पर छोड़ दिया था। आधी-अधूरी तैयारी के साथ सरकार बनी तो केंद्रीय नेतृत्व उतरना पड़ा, लेकिन अब सबक लिए शर्मिंगदी वाली स्थिति बन रही है।
यह मामला ओवर कॉन्फिडेंस का स्थाई उदाहरण है
महाराष्ट्र में जो कुछ भी हुआ मैनेजमेंट की नजर से देखें तो यह ओवर कॉन्फिडेंस का स्थाई उदाहरण है। विश्वास, अति आत्मविश्वास और अंधविश्वास में बहुत महीन सा अंतर होता है। विश्वास अनुभव के आधार पर आता है। अति आत्मविश्वास का जन्म मुगालते से होता है। भाजपा के रणनीतिकारों ने मान लिया था कि एक बार शपथ ग्रहण समारोह हो जाए तो फिर एनसीपी के विधायक अपने आप टूट कर आ जाएंगे। वह समझ रहे थे कि इस घटनाक्रम के साथ ही एनसीपी में शरद पवार की राजनीति भी स्वाहा कर दी जाएगी लेकिन इस सबसे पहले उन्होंने कोई अध्ययन नहीं किया। वह यह जान पाने में नाकाम हो गए की पार्टी पर अजित पवार नहीं शरद पवार का होल्ड है। यदि थोड़ा सा होमवर्क कर लिया होता तो भारतीय जनता पार्टी को यह दिन नहीं देखना पड़ता।