भोपाल। भाजपा द्वारा जिला अध्यक्ष के लिए 50 साल उम्र निर्धारित किए जाने से जिला संगठनों में सियासत गरमा गई है। उम्र बंधन के कारण प्रदेश के लगभग 35 जिलों के अध्यक्ष दौड़ से बाहर हो जाएंगे। प्रदेश में भाजपा के 56 संगठनात्मक जिले हैं। मौजूदा अध्यक्षों में से ज्यादातर की उम्र सीमा से अधिक यानी 50 साल पार हो चुकी है। पार्टी नेताओं का मानना है कि उम्र सीमा के बंधन को हर हाल में लागू किया जाएगा और इसके दायरे में आने वाले जिला अध्यक्षों की छुट्टी कर दी जाएगी।
उम्र के साथ ही कुछ जिलाध्यक्षों को निष्क्रियता और ढीलेपन के कारण भी बदलने पर विचार चल रहा है। महाकोशल, मालवा अंचल, बुंदेलखंड, चंबल-ग्वालियर और मध्य भारत के कई जिलों में उम्र की सियासत के कारण भाजपा नए कलेवर में नजर आएगी। पहले विधानसभा और फिर लोकसभा चुनाव में 75 पार की उम्र सीमा का फार्मूला लगाकर बुजुर्ग नेताओं की छुट्टी की दी गई। अब पार्टी संगठन में युवाओं को तरजीह देने के लिए जिलाध्यक्ष की 50 साल उम्र तय कर दी है। इसमें भी पार्टी ने तय किया है कि किसी सिफारिशी लाल को संगठन की कमान नहीं सौंपी जाएगी। उसे ही जिलाध्यक्ष बनाया जाएगा, जो संगठन में सक्रिय है। पार्टी की रीति-नीति को जानता है।
मजबूत विपक्ष और चुनाव के हिसाब से तय होंगे चेहरे
भाजपा संगठन चुनाव के माध्यम से मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाना चाहती है, इसलिए पार्टी ऐसे कार्यकर्ताओं को संगठन की कमान सौंपना चाहती है, जो पार्टी के कार्यक्रम, आंदोलन को अंजाम तक पहुंचा सकें। इसके अलावा जिलाध्यक्षों की भूमिका आगामी नगर निगम चुनाव से लेकर पंचायत और मंडी चुनाव में भी अहम होगी। इन्हीं की सिफारिश पर पार्टी स्थानीय चुनाव की टिकट तय करेगी। यही वजह है कि पार्टी ठोक बजाकर जिलाध्यक्षों के नाम पर सहमति बनाना चाहती है।
इन जिलाध्यक्षों की जा सकती है कुर्सी
होशंगाबाद के हरिशंकर जायसवाल दो बार जिलाध्यक्ष रह चुके हैं, उम्रबंधन के भी दायरे में हैं। आलीराजपुर के किशोर शाह लगातार पार्टी की पराजय के कारण हटाए जाएंगे। हरदा के अमरसिंह मीणा और रायसेन में संगठन की निष्क्रियता के चलते धर्मेंद्र चौहान को बदला जाएगा। विदिशा के राकेश सिंह जादौन से पार्टी खफा है। सागर में भी प्रभुदयाल पटेल पर लचर कार्यपद्धति और ढीलेपन के कारण नया चेहरा तलाशा जा रहा है। ग्वालियर में देवेश शर्मा की उम्र के कारण छुट्टी होगी, शिवपुरी में वीरेंद्र रघुवंशी, श्योपुर के गोपाल आचार्य, मुरैना के केदार सिंह यादव का नाम भी फिलहाल परिवर्तन की सूची में शामिल है। पन्ना के सदानंद गौतम दो बार जिलाध्यक्ष रहने के कारण बदले जा रहे हैं। रीवा में विद्याप्रकाश श्रीवास्तव उम्र के फार्मूले के कारण बाहर हो रहे हैं। सीधी में डॉ. राजेश मिश्रा 55 पार की श्रेणी में हैं।
कटनी जिलाध्यक्ष पीतांबर टोपनानी पर भी तलवार लटक रही है। मंडला के जिलाध्यक्ष रतन ठाकुर की जगह भी नए चेहरे की ताजपोशी की तैयारी चल रही है। बालाघाट में नरेंद्र रंगलानी को बदले जाने की चर्चा है। छिंदवाड़ा में नरेंद्र राजू परमार की जगह आदिवासी चेहरे को जिले की कमान सौंपी जा सकती है। इंदौर में गोपीकृष्ण नेमा भी उम्र के दायरे के कारण हटाए जाएंगे। खंडवा के हरीश कोटवाले को दो बार अध्यक्ष बनने के कारण हटाया जाएगा।
नीमच के हेमंत हरित यादव और मंदसौर के राजेंद्र सुराना, रतलाम के राजेंद्र सिंह लूनेरा, खरगोन में परसराम चौहान, बड़वानी में ओम खंडेलवाल, धार में डॉ. राज वरफा, आगर-मालवा के दिलीप सखलेचा, शाजापुर के नरेंद्र सिंह बैस, देवास के नंदकिशोर पाटीदार की जगह भी नए चेहरों को जिलाध्यक्ष बनाया जाएगा। सतना जिलाध्यक्ष नरेंद्र त्रिपाठी के नाम पर सांसद गणेश सिंह असहमत हैं। इनके अलावा भोपाल, इंदौर, जबलपुर, उज्जैन सहित ग्रामीण जिलाध्यक्षों को अलग-अलग बदलने की तैयारी है।
रीति-नीति पर होते हैं चुनाव
भाजपा में चुनाव संगठन की रीति-नीति और सहमति की भावना के आधार पर होते हैं। पार्टी में सबकी भावना को स्थान देने की परंपरा है। हर बार की तरह इस बार भी संगठन के अनुशासन और परंपरा के अनुसार चुनाव संपन्न् हो रहे हैं। - रजनीश अग्रवाल, प्रवक्ता, भाजपा मध्यप्रदेश