भोपाल। मध्यप्रदेश में बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) के काम से शिक्षकों को छुट्टी मिली तो आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को इस काम में लगा दिया गया है। इस पर महिला एवं बाल विकास विभाग ने आपत्ति दर्ज कराई है। विभाग ने शासन को पत्र लिखकर बताया है कि कार्यकर्ता इसी कार्य में लगे रहे तो जनवरी और जुलाई में एक-एक माह प्रदेशभर में आंगनवाड़ियों में कामकाज ठप हो जाएगा।
फिलहाल प्रदेश में 65 हजार से ज्यादा आंगनवाड़ी कार्यकर्ता बीएलओ की ड्यूटी कर रहे हैं। मध्यप्रदेश में 97 हजार से ज्यादा आंगनवाड़ी हैं, जिनमें कार्यरत कार्यकर्ताओं को बीएलओ का जिम्मा सौंपा गया है। वे साल में दो बार नजदीकी बूथ पर बैठकर मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण करेंगी। शासन स्तर पर लिए गए इस निर्णय के बाद 65 हजार से ज्यादा कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी सौंप दी गई है और वे नगरीय निकाय एवं पंचायती राज चुनाव को देखते हुए मतदाता सूचियों के पुनरीक्षण कार्य में जुट गई हैं।
इससे महिला एवं बाल विकास विभाग के अफसर चिंतित हैं। चिंता की मुख्य वजह मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण और हर माह होने वाली बीएलओ की बैठकों को लेकर है। अफसरों का कहना है कि इससे आंगनवाड़ियों में कामकाज ठप होने के हालात बन जाएंगे, क्योंकि मतदाता सूचियों के पुनरीक्षण के समय कार्यकर्ता करीब एक माह आंगनवाड़ी केंद्र नहीं पहुंचेंगी और बीचबीच में होने वाली बीएलओ की बैठक में भी उनकी उपस्थिति अनिवार्य रहेगी।
इस कारण आंगनवाड़ियों का कामकाज प्रभावित होगा। इसके पहले स्कूली शिक्षकों की भी इस कार्य में ड्यूटी लगाई जाती थी। लेकिन शिक्षकों द्वारा इसी काम में लगे रहने की वजह से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती थी, जिसके बाद उन्हें इस काम से अलग कर दिया गया था।