आलीराजपुर। टिटनेस मुक्त भारत घोषित होने के चार साल बाद टीकाकरण से छूटे और संक्रमित हुए सात वर्षीय बालक की इलाज के दौरान एमवाय अस्पताल में मौत हो गई। मामले में लापरवाही बरतने को लेकर आलीराजपुर प्रशासन ने जांच शुरू कर दी है। आलीराजपुर जिले की जोबट तहसील में रहने वाले 7 वर्षीय मूक-बधिर बालक पवन (परिवर्तित नाम) को शुक्रवार देर रात एमवाय अस्पताल में टिटनेस संक्रमण के कारण भर्ती कराया गया था।
आलीराजपुर स्थित मूक-बधिर छात्रावास में भर्ती बच्चे के परिवार ने घर में जन्म होने के साथ टिटनेस का डीपीटी टीके सहित किसी तरह का टीका नहीं लगने की बात कही है। बच्चे के माता-पिता सहित बड़ा भाई भी मूक-बधिर और अनपढ़ है। छात्रावास के सचिव ज्ञानेन्द्र पुरोहित ने बताया, रविवार देर रात बच्चे की इलाज के दौरान मौत हो गई। परिवार ने रातभर यहां शव रखने के बजाए आलीराजपुर में पोस्टमार्टम के लिए कहा। इसपर डीन डॉ. ज्योति बिंदल के सहयोग से एम्बुलेंस की व्यवस्था कर शव को वहां भेजा गया। सोमवार को आलीराजपुर जिला अस्पताल में पीएम के बाद शव परिजन के हवाले किया गया। मामले में कलेक्टर आलीराजपुर सुरभी गुप्ता ने स्वास्थ्य विभाग द्वारा टीकाकरण सर्वे में बरती गई लापरवाही की जांच के साथ इलाके में टीकाकरण से छूटे बच्चों का दोबारा सर्वे करने के निर्देश दिए हैं।
आदिवासी अंचल में रहने वाले परिवार ने बताया कि बच्चे का जन्म घर में हुआ था। उसे कोई टीका नहीं लगा है। न तो अस्पताल गए और न स्वास्थ्य विभाग की टीम घर आई। गौरतलब है कि डीटीपी वैक्सीन 2 माह, 4 माह, 6 माह, डेढ़ साल और 4 से 6 वर्ष की उम्र में बच्चों को लगाई जाती है। डॉक्टरों का कहना है कि वैक्सीन का असर बच्चे में पांच साल तक रहता है। टीकाकरण होने पर टीटनेस नहीं होता।