वन मंत्री ने लिखा कार्रवाई करो, ACS ने लिखा नहीं करेंगे: फाइल क्लोज, लड़ाई जारी

भोपाल। अपने बयानों से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की चिट्टियां बंद करा देने वाली वन मंत्री उमंग सिंघार अपने ही विभाग की एसीएस एपी श्रीवास्तव से परेशान है। वन मंत्री की हर नोट शीट पर एपी श्रीवास्तव अड़ंगा लगा देते हैं। बताया जा रहा है कि एसीएस एपी श्रीवास्तव को मुख्यमंत्री कमलनाथ का संरक्षण प्राप्त है। यहां बताना जरूरी है कि वन मंत्री उमंग सिंघार ज्योतिरादित्य सिंधिया की कैंप से आते हैं। ताजा मामला हॉफ चीफ डॉ यू प्रकाशम का है। वन मंत्री उनके खिलाफ कार्रवाई करना चाहते थे लेकिन एसीएस एक नोट लगाकर फाइल मुख्यमंत्री के पास भेज दी और सीएम कमलनाथ में फाइल क्लोज कर दी। कुल मिलाकर उमंग सिंघार इन दिनों केवल नाम के वन मंत्री रह गए। मंत्रालय का संचालन एसीएस एपी श्रीवास्तव कर रहे हैं और सारे विशेषाधिकार मुख्यमंत्री के पास सुरक्षित है।

मंत्री उमंग सिंघार और एसीएस एपी श्रीवास्तव के बीच विवाद चरम पर 

पत्रकार श्री मनोज तिवारी की रिपोर्ट के अनुसार पौधारोपण घोटाले की जांच ईओडब्ल्यू को सौंपने संबंधी निर्देशों का पालन करने में देरी से मंत्री उमंग सिंघार और एसीएस एपी श्रीवास्तव के बीच शुरू हुआ विवाद अब चरम पर है। मंत्री मैदानी अधिकारियों से लेकर वन बल प्रमुख तक पर कार्रवाई के लिए लिख चुके हैं, लेकिन किसी पर आंच नहीं आई। ताजा मामला हॉफ को लेकर ही है।

डॉक्टर यू प्रकाशम को धारा और नियमों तक का ज्ञान नहीं

करीब ढाई साल पहले मादा बाघ शावक को रेस्क्यू कर बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व भेजा गया था। उसे बहेरहा स्थित बाड़े में रखा था। युवा होने पर उसे नौरादेही अभयारण्य में छोड़ने का फैसला लिया। डॉक्टर यू प्रकाशम ने चीफ वाइल्ड लाइफ वॉर्डन रहते हुए वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 11(1)(ए) का हवाला देते हुए 13 सितंबर 2019 को बाघिन की शिफ्टिंग के आदेश जारी कर दिए।

मंत्री उमंग सिंघार में डॉक्टर प्रकाशम के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए लिखा

जब यह आदेश वनमंत्री तक पहुंचा, तो उन्होंने आपत्ति उठाई। उनका कहना था कि अधिनियम की इस धारा में शिफ्टिंग का प्रावधान ही नहीं है। धारा 12 (बीबी)(आई) में शिफ्टिंग की जा सकती है। इस आपत्ति के बाद हॉफ ने 20 सितंबर को संशोधन आदेश जारी कर दिया। मामले को गंभीरता से लेते हुए मंत्री सिंघार ने एसीएस को नोटशीट भेजी। जिसमें इस गलती को गंभीर बताते हुए डॉ. प्रकाशम् के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने को लिखा। मंत्री ने यह भी लिखा कि डॉ. प्रकाशम् को नियमों और धाराओं का ज्ञान ही नहीं है।

एसीएस एपी श्रीवास्तव ने मंत्री के तर्कों को खारिज कर दिया

मामले में एसीएस ने मंत्री सिंघार के तर्कों को खारिज कर दिया। उन्होंने आदेश में हुए गलत धारा के उल्लेख को लिपिकीय त्रुटि बताया। साथ ही यह भी लिखा कि चीफ वाइल्ड लाइफ वॉर्डन के हस्ताक्षर से पहले आदेश का परीक्षण एपीसीसीएफ और अन्य अफसर करते हैं इसलिए इस त्रुटि के लिए सीधे तौर पर प्रकाशम् को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।

मुख्यमंत्री कमलनाथ ने फाइल क्लोज कर दी

एसीएस ने यह भी लिखा कि भारतीय सेवा के अफसरों के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान अखिल भारतीय सेवा अधिनियम में है। इसे लेकर राज्य शासन अलग से नियम नहीं बना सकता। इन तर्कों से सहमत होते हुए मुख्यमंत्री ने मामले की फाइल ही बंद कर दी है।

अफसरों की पदस्थापना फाइल एसीएस एपी श्रीवास्तव ने दवा रखी थी

चीफ वाइल्ड लाइफ वॉर्डन सहित पीसीसीएफ स्तर के दो अन्य अफसरों की पदस्थी की फाइल एसीएस कार्यालय में मिली। यह फाइल करीब एक माह पहले चली है और बताया जा रहा था कि तभी से मंत्री कार्यालय में अटकी हुई है। जब मामला सामने आया, तो मंत्री कार्यालय से खोजबीन शुरू की। एसीएस कार्यालय में भी फाइल तलाशी गई। आखिर फाइलों के ढेर में वह फाइल भी मिल गई।

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