नई दिल्ली। महाराष्ट्र में लगता है भारतीय जनता पार्टी अजित पवार की साजिश का शिकार हो गई। अजित पवार के हाथ में विधायकों के समर्थन की चिट्ठी की। इसी चिट्ठी के आधार पर रात 12:30 बजे से भारत का सबसे बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम शुरू हुआ और सुबह 7:00 बजे देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली लेकिन शाम होने से पहले अजित पवार का गुब्बारा फूट गया।
शनिवार सुबह अचानक हुए इस घटनाक्रम से पूरा देश महाराष्ट्र की तरफ नजरें गड़ाए बैठा है। सबसे पहले लोगों ने जानने की कोशिश की कि यह सब कुछ कैसे हुआ। पता चला कि अजित पवार के पास विधायकों के समर्थन की चिट्ठी थी। इसी चिट्ठी के आधार पर भाजपा ने सरकार बनाने का दावा पेश किया। अजित पवार एनसीपी विधायक दल के नेता थे अतः कानूनन उनके पास पावर थी परंतु पॉलिटिक्स में पावर हमेशा किसी और के हाथ में होती है।
शरद पवार ने एनसीपी के विधायकों की बैठक बुलाई। एक-एक करके विधायक शरद पवार के पास पहुंचने लगे। देखते ही देखते सारी एनसीपी शरद पवार के साथ खड़ी नजर आई। 54 में से 50 विधायक शरद पवार के साथ थे, अजित पवार के पास सिर्फ 4 विधायक रह गए। एनसीपी के विधायक दल की फिर से मीटिंग आयोजित की गई और अजीत पवार को विधायक दल के नेता पद से हटा दिया गया। विधायक दल ने जयंत पाटील को अपना नया नेता चुना है। एनसीपी ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की है। उन्होंने निवेदन किया है कि सुप्रीम कोर्ट महाराष्ट्र विधानसभा में रविवार को फ्लोर टेस्ट का आदेश दे। यदि ऐसा हुआ तो यह सरकार सिर्फ 1 दिन की सरकार रह जाएगी।