भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में स्मार्ट सिटी के नाम पर हजारों पेड़ काट दिए गए। भोपाल की प्राकृतिक हरी चादर को टुकड़े-टुकड़े कर दिया गया। अब 'बावड़ियों को संवारने' के नाम पर नया ढोंग शुरू कर दिया गया है।
भोपाल स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट काॅर्पोरेशन (बीएससीडीसीएल) शहर की दर्जन भर बावड़ियों को संवारने के लिए डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनवा रहा है। सरकार ने ब्लू और ग्रीन नाम से दो मास्टर प्लान तैयार किए हैं। इनमें ग्रीन मास्टर प्लान के तहत ही शहर की बावड़ियों को संवारने और सहेजने के काम किए जाएंगे। स्मार्ट सिटी ने इसका जिम्मा इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (इनटेक) और मप्र सुशासन एवं नीति विश्लेषण को सौंपा है।
इनटेक फिलहाल शहर की दस बावड़ियों को चिन्हित कर रहा है। वह पता लगाएगा कि किस तरह बावड़ियों में जल संग्रहित कर सप्लाई किया जाता था। फिर बजट पर काम होगा। यह कार्य स्मार्ट सिटी के सीईओ दीपक सिंह अपनी देखरेख में करवा रहे हैं। इसके पहले बीएससीडीसीएल और इनटेक के बीच शहर की ऐतिहासिक इमारतों का संरक्षण करने के लिए एमओयू हो चुका है। इस पूरे काम पर करीब 150 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है।
दीपक सिंह, सीईओ, भोपाल स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट काॅर्पोरेशन का बयान
भोपाल में कई बावड़ियां हैं, जो पानी की समस्या हल करने में सहायक सिद्ध हो सकती हैं। लगभग दस बावड़ी चिन्हित कर संवारी जाएंगी। इनटेक इनकी डीपीआर बना रहा है।
दीपक सिंह, सीईओ, भोपाल स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट काॅर्पोरेशन