भोपाल। अयोध्या फैसले के मद्देनजर शहर में कानून और व्यवस्था की स्थिति को बनाए रखने के लिए प्रदेश भर में पुलिस मॉक ड्रिल का आयोजन कर रही है। भोपाल में भी ऐसा ही किया गया परंतु यहां मॉक ड्रिल को किसान आंदोलन पर लाठीचार्ज का नाम दिया गया। अब इसी बात को लेकर आपत्तियां आना शुरू हो गई हैं।
दरअसल भोपाल पुलिस द्वारा जारी आधिकारिक प्रेस नोट में बताया गया कि पुलिस ने मुआवजा मांग रहे किसानों पर लाठीचार्ज का अभ्यास किया। पुलिस के प्रेस नोट में लिखा है कि " डीआईजी शहर श्री इरशाद वली के निर्देशानुसार आज प्रातः पुलिस लाइन, नेहरु नगर में जोन 1 क्षेत्र के पुलिस अधिकारी/कर्मचारियों द्वारा बलवा ड्रिल रिहर्सल का आयोजन किया गया। बलवा ड्रिल परेड का नेतृत्व एएसपी जोन 1 श्री अखिल पटेल ने किया।
पुलिस के प्रेस नोट में लिखा है कि 'विभिन्न मांगों व मुआवजे की मांग कर रहे किसानों/प्रदर्शनकारियों को पुलिस व प्रशासन की टीम द्वारा समझाया गया व आश्वाशन दिया गया, किंतु प्रदर्शनकारियों ने बात नही मानी एवं मांगे पूरी नही होने की वजह से तोड़फोड़ व चक्काजाम करने लगे, जिससे कानून व्यवस्था की स्थिती निर्मित होने गई। तभी भीड़ को हटाने के लिए पुलिस पार्टी ने अश्रु गैस छोड़े, किंतु भीड़ और उग्र हो गई। भीड़ को काबू करने के लिए पुलिस द्वारा लाठी चार्ज किया गया, जिसमे प्रदर्शनकारियों के साथ ही कुछ पुलिस कर्मी भी घायल हो गए। भीड़ द्वारा तोड़फोड़ व आगजनी की घटना कारित करने पर पुलिस द्वारा जान माल की रक्षा करने एवं भीड़ को तीतर-बीतर(हटाने) के लिए 3 राउंड गोली चलाई गई, जिसमें 1 बलवाई (लीडर) को गोली लगने से एम्बुलेंस द्वारा ईलाज हेतु हॉस्पिटल में भर्ती किया गया।
भोपाल पुलिस की पूरी मॉक ड्रिल की प्रक्रिया में लोगों को सिर्फ एक बात गलत नजर आई और वह कि पुलिस ने अभ्यास के दौरान मुआवजा मांग रहे किसानों को ही क्यों प्रदर्शनकारी और उपद्रवी बताया। बता दें कि मध्यप्रदेश में किसान एक संवेदनशील विषय है। यहां किसान और कर्मचारी सरकार बदलने की स्थिति रखते हैं। मध्यप्रदेश में जातिवाद से ज्यादा वर्गवाद की राजनीति होती है।