नई दिल्ली। हिंदू धर्म में देवउठनी एकादशी का बहुत बड़ा महत्व माना गया है। यह एकादशी हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पड़ती है। इस बार यह दिन शुक्रवार, यानी 8 नवंबर को पड़ रहा है। इस दिन भगवान विष्णु और लक्ष्मी के साथ तुलसी की पूजा करने का भी विशेष महत्व माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवउठनी एकादशी के दिन श्री हरी चार महीने के शयनकाल के बाद जाग जाते हैं।
देवउठनी एकादशी व्रत मुहूर्त
एकादशी तिथि आरंभ: 07 नवंबर 2019 की सुबह 09 बजकर 55 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्त: 08 नवंबर 2019 को दोपहर 12 बजकर 24 मिनट तक
देव उठनी एकादशी की पूजा विधि
एकादशी के दिन सुबह-सवेरे उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
अब भगवान विष्णु का ध्यान कर व्रत का संकल्प लें।
अब घर के आंगन में भगवान विष्णु के चरणों की आकृति बनाएं।
एक ओखली में गेरू से भगवान विष्णु का चित्र बनाएं।
अब ओखली के पास फल, मिठाई सिंघाड़े और गन्ना रखें. फिर उसे डलिया से ढक दें।
रात के समय घर के बाहर और पूजा स्थल पर दीपक जलाएं।
इस दिन परिवार के सभी सदस्यों को भगवान विष्णु समेत सभी देवताओं की पूजा करनी चाहिए।
इसके बाद शंख और घंटी बजाकर भगवान विष्णु को यह कहते हुए उठाएं- उठो देवा, बैठा देवा, आंगुरिया चटकाओ देवा, नई सूत, नई कपास, देव उठाए कार्तिक मास।
इस दिन पूजा स्थल को साफ करके सांयकाल में वहां चूना और गेरू से रंगोली बनाएं। साथ ही घी के 11 दीपक देवताओं को निमित्त करते हुए जलाएं। द्राक्ष,ईख,अनार,केला,सिंघाड़ा,लड्डू,पतासे,मूली आदि ऋतुफल इत्यादि पूजा सामग्री के साथ ही रख दें। यह सब श्रद्धापूर्वक श्री हरि को अर्पण करने से व्यक्ति पर उनकी कृपा सदैव बनी रहती है।
मंत्रोच्चारण-
भगवान को जगाने के लिए इन मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए-
उत्तिष्ठ गोविन्द त्यज निद्रां जगत्पतये। त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत् सुप्तं भवेदिदम्॥
उत्थिते चेष्टते सर्वमुत्तिष्ठोत्तिष्ठ माधव। गतामेघा वियच्चैव निर्मलं निर्मलादिशः॥
शारदानि च पुष्पाणि गृहाण मम केशव।