देश समाज से बनता है, समाज नागरिकों से | समाज कैसे करवट ले रहा है, आज इस पर लिख उन नौजवानों को सेल्यूट कर रहा हूँ , जो अपने काम के साथ वो सब भी कर रहे है , जो परमार्थ कहलाता है | इस परमार्थ कार्य के बदले न तो वे प्रचार चाहते हैं और कुछ और | ये भारतीय वांग्मय में वर्णित दान की उस परम्परा के पैरोकार है कि “सीधे हाथ से दान करो तो उलटे हाथ को पता भी न चले |” भारत तो सदियों से ऐसी कहानियों का जनक रहा है | उसकी कीर्ति उस समय कुछ धुंधली अवश्य पड़ जाती है, जब प्रचार की भूख परमार्थ पर भारी हो जाती है | देश में कुछ ऐसे युवा है जिन्हें आज सेल्यूट कर रहा हूँ, तो कुछ ऐसे लोग भी है जो परमार्थ के बदले प्रचार चाहते हैं | यह प्रचार और उससे मिलने वाले लाभ ही उनका उद्देश्य है |
2009 बेच के दो आईएएस अधिकारी भोपाल के एक जाने पहचाने चेहरे की मदद के लिए एक निजी अस्पताल पहुंचते है | इन्हें सोशल मीडिया से पता चलता है कि ये चेहरा अस्पताल में है और उसे सहायता की जरूरत है | भोपाल के समाज के एक और चेहरे को वहां देख कर वे आश्वस्त होते हैं और यह आश्वासन देते हैं कि वे अपने साथी आईएएस अधिकारियों से कुछ और संग्रह कर इस मदद के सिलसिले और आगे बढ़ाएंगे | इस परमार्थिक घटना का गवाह जो चेहरा है उस पर अविश्वास किया ही नहीं जा सकता | भोपाल के इस चेहरे को जो अस्पताल में है, सब जानते है और उनकी मदद में खड़े चेहरे को भी सब जानते हैं | प्रचार की भूख इनमे से किसी चेहरे को नहीं है |
समाज का 21 से चालीस वर्ष आयु समूह के लोग ऐसे कई अभियान चला रहे हैं | जिसका विशुद्ध उद्देश्य परमार्थ है, इससे इतर कुछ नहीं | गुजरात के वडोदरा शहर में एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी के एक इंजीनियर ने भी कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर एक ऐसा ही अभियान छेड एक ऐसे व्यक्ति की मदद की थी जिसके उसका कोई सरोकार न तो पहले था और बाद रहने वाला था |
ठीक ऐसी कहानी मध्यप्रदेश के चिकित्सक की है| प्राथमिक उपचार केंद्र में पदस्थ यह चिकित्सक शल्य चिकित्सा में स्नातकोत्तर है | प्राथमिक उपचार केंद्र में शल्य चिकित्सा के उपकरण नहीं है, चिकित्सक महोदय समीप के जिले के अस्पताल में जाकर शल्य चिकित्सा करते हैं, 1 रुपया फ़ीस पर | वही हमारे सामने गाँधी मेडिकल कालेज से हर दिन आती खबरे हैं, जहाँ सम्बद्ध हमीदिया अस्पताल से हर दिन मरीज निजी अस्पतालों की ओर रेफर होते हैं | वार्ड ब्याय से लेकर शल्य चिकित्सा विशेषग्य तक भी इस गौरखधंधे में शामिल हैं | राजधनी के निजी और समीप के जिलों के निजी अस्पताल इस धधे से फलफूल रहे हैं | भोपाल का निजी अस्पताल जिसमे ये उपर वर्णित चेहरा भर्ती है. ने भी परमार्थ के इस काम में अपना योगदान देने का आश्वासन दिया है |
समाज ऐसे ही लोगो से बनता है और जिन्दा रहता हैं | प्रचार की भूख और चिकित्सीय व्याभिचार समाज के लिए घातक है | सराहना खुद मिलती है मांगी नहीं जाती | आपके मस्तिष्क में उदारता का संस्कार रखे वही समाज को उत्कृष्ट बनाएगा | 21 से 40 साल की इस नौजवान पीढ़ी, उसे मिले संस्कार को फिर एक बार सेल्यूट |
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क 9425022703
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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