भोपाल। मध्य प्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों में वर्षों से अध्यापन कार्य कर रहे अतिथि विद्वानों के सामने रोज़ी रोटी का संकट पैदा हो गया है। मंत्री जीतू पटवारी के आश्वासन के बावजूद सहायक प्राध्यापक भर्ती प्रक्रिया पुनः प्रारम्भ होने के बाद नए लोग पदों पर जॉइन कर रहे है, फलस्वरूप उन पदों में पिछले 2 दशकों से अध्यापन कार्य कर रहे अतिथि विद्वानों को कॉलेज प्रबंधन द्वारा फालेन आउट करके बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है।
मोर्चा के डॉ जेपीएस चौहान ने कहा है कि पूरे प्रदेश के हज़ारों उच्च शिक्षित अतिथि विद्वान जहां कांग्रेस सरकार के बनने के बाद नियमितीकरण के वचन को पूरा होने की आस लगाए बैठे थे। नई नियुक्तियों से उनकी आशाओं में पानी फिरता दिख रहा है। जिससे पूरे अतिथि विद्वान समुदाय में असंतोष अपने चरम पर है और वे जल्द बड़े आंदोलन और जंगी प्रदर्शन की रूप रेखा बना रहे है। अतिथि विद्वानों का कहना है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ कौन से स्वर्णिम मध्यप्रदेश का निर्माण करने वाले है जिसमे प्रदेश के हज़ारों उच्च शिक्षित बेटे बेटियों के भविष्य को समाप्त करने का षड्यंत्र किया जा रहा है।
इस बार अंतिम होगी लड़ाई
अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के संयोजक देवराज सिंह ने कहा है कि विगत 12 अक्टूबर को भोपाल स्थित नीलम पार्क में अतिथि विद्वानों की ऐतिहासिक रैली में पहुचे उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी ने संबोधित करते हुए कहा था कि एक भी अतिथि विद्वान नई नियुक्तियों के बाद भी बाहर नही होगा। पहले हम अतिथि विद्वान का व्यवस्थापन करेंगे तत्पश्चात नई नियुक्तियां की जाएंगी। इसके बावजूद हमारे लिए किसी भी प्रकार की नीति आज तक प्रदेश सरकार नही बना सकी है। यह प्रदेश के हज़ारों अतिथि विद्वानों के साथ प्रदेश सरकार का खुला छल है। फालेन आउट हो रहे अतिथि विद्वानों के लिए सरकार जल्द व्यवस्थापन संबंधी आदेश वेब साइट में जारी करे।
वचन अतिथि विद्वानों को और नौकरी तथाकथित चयनितों को
नियुक्ति आदेश जारी होने के बाद मंत्री जीतू पटवारी ने अपनी पीठ थपथपाते हुए कमलनाथ सरकार का एक और वचन पूरा करने सम्वन्धी ट्वीट किया। जिस पर उन्हें भारी आलोचना का सामना करना पड़ा। अतिथि विद्वान संघर्ष मोर्चा के प्रवक्ता डॉ. मंसूर अली ने कहा है कि सरकार ने प्रदेश के लाखों बेटे बेटियों के साथ धोखा किया है। कांग्रेस पार्टी ने वचन अतिथि विद्वानों को दिया था। जबकि नौकरी तथाकथित चयनितों को दे रही है। हमारी नौकरी समाप्त करने वाले मंत्रीजी वचन पूरा नही बल्कि अपना दिया हुआ वचन तोड़ रहे है। वचन पत्र की कंडिका 17.22 में स्पष्टतः कहा गया था अतिथि विद्वानों के लिए नियमितीकरण की नीति बनाई जाएगी। जबकि आज मामला माननीय उच्च न्यायलय में होने के बावजूद जल्दबाजी में नियुक्ति आदेश जारी किए जा रहे है।
मामला कोर्ट में विचाराधीन जबकि सरकार नियुक्तियों की जल्दबाजी में
मोर्चा के संयोजक डॉ सुरजीत भदौरिया ने कहा है कि नियुक्तियों में भारी विसंगति व रोस्टर संबंधी मामलों में कई याचिकाओं में सुनवाई 10 दिसंबर को माननीय उच्च न्यायलय में होना है। बावजजूद इसके सरकार बिना न्यायलय के निर्णय की प्रतीक्षा किये जल्दबाजी में नियुक्ति आदेश निकाल रही है। उससे पूरे प्रदेश में यह मामला गर्मा गया है एवं अतिथि विद्वानों ने आंदोलन व जंगी प्रदर्शन की बात कही है।
उच्च शिक्षित एवं सहायक प्राध्यापक परीक्षा में उत्तीर्ण है अतिथि विद्वान
उल्लेखनीय है कि वर्षों से महाविद्यालयों में अध्यापन कार्य कर रहे अतिथि विद्वान उच्च शिक्षित है। नेट, सेट एवं पीएचडी जैसी उच्च शैक्षणिक योग्यता पूर्ण करने के बाद अतिथि विद्वान प्रदेश स्तर पर उच्च शिक्षा विभाग द्वारा बनाई गई मेरिट के आधार पर महाविद्यालय में अध्यापन कार्य कर रहे गई। यही नही अधिकांश अतिथि विद्वान सहायक प्राध्यापक परीक्षा में उत्तीर्ण हुए है। केवल सीट की अनुपलब्धता के कारण वे चयन सूची में स्थान नही बना पाए है।dr आशीष पांडेय ने कहा कि हरियाणा, उत्तरप्रदेश और कर्नाटक की सरकारों ने इसी प्रकार कार्य कर रहे अतिथि विद्वानों को नीति बनाकर नियमित किया है। यही मांग वर्षों से प्रदेश के अतिथि विद्वान भी अपनी प्रदेश सरकार से कर रहे है।