जबलपुर। जस्टिस संजय यादव व जस्टिस अतुल श्रीधरन की डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच के उस आदेश को निरस्त कर दिया है जिसमें कहा गया था कि अस्थाई कर्मचारियों को भी स्थाई कर्मचारियों के समान रिटायरमेंट के बाद अर्जित अवकाश के नगरीकरण की पात्रता होगी। मध्यप्रदेश शासन द्वारा सिंगल बेंच के आदेश के खिलाफ अपील की गई थी।
अर्जित अवकाश मामले में मध्यप्रदेश शासन ने अपील में क्या कहा था
राज्य सरकार की ओर से यह अपील दायर कर कहा गया कि सरकारी नीति के तहत अस्थायी सरकारी कर्मियों को कार्यकाल के दौरान अर्जित अवकाश की पात्रता है। कार्यकाल के दौरान वे यह अवकाश ले सकते हैं या इसका नकदीकरण करा सकते हैं। रिटायरमेंट के बाद अर्जित अवकाश का नकदीकरण न किए जाने के नियम को कई सेवानिवृत्त कर्मियों ने चुनौती दी। इन पर हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने 24 जुलाई 2018 को फैसला सुनाते हुए कहा कि अर्जित अवकाश का नकदीकरण रिटायरमेंट के बाद भी किया जाना चाहिए। इसी फैसले को अपील में चुनौती दी गई।
शासकीय अधिवक्ता विवेक रंजन पांडे ने तर्क दिया कि नियमानुसार अस्थायी कंटिन्जेंसी कर्मियों को अधिकतम 30 दिन व स्थायी होने वाले कंटिन्जेंसी कर्मियों को 120 दिन का अर्जित अवकाश मिलता है लेकिन यह सुविधा केवल कार्यकाल के दौरान ही दी जाती है, रिटायरमेंट के बाद नहीं। सहमत होकर कोर्ट ने सिंगल बेंच का आदेश निरस्त कर दिया।