जयपुर। FORTIS HOSPITAL एवं FORTIS HEALTHCARE LTD जो खुद को टॉप हॉस्पिटल बताते हैं, को राज्य उपभोक्ता फोरम ने गंभीर सेवा दोष का अपराधी माना है एवं 25 लाख रुपए का हर्जाना ठोका है। आरोप है कि अस्पताल ने पेट के मरीज को दिल का मरीज बनाकर एंजियोप्लास्टी कर डाली। जिसके बाद मरीज को हार्टअटैक आया और उसकी मौत हो गई।
मरीज ने खुद रोका फिर भी नहीं माने, एंजियोप्लास्टी कर दी
रेखा खुंटेटा व अन्य ने बताया कि 28 जुलाई 2014 को उसके पिता चेतराम को खाना-पीना निगलने में तकलीफ हो रही थी। इस पर मरीज को फोर्टिस अस्पताल ले जाया गया। यहां पेट दर्द की जानकारी देने के बावजूद डॉक्टरों ने गलत हिस्ट्री शीट लिखी और ई.सी.जी. व ईको किया। इसमें आया कि मरीज का हार्ट 50 प्रतिशत ही काम कर रहा है। इस पर मरीज ने बताया कि उसका हार्ट वर्ष 2002 से इतना ही काम कर रहा है। वहीं मरीज की पेट दर्द की शिकायत पर ध्यान न देकर उसकी एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी कर दी गई। मरीज की 30 जुलाई को हालत बिगडऩे पर हीमोडायलिसिस देना शुरू किया गया। वहीं 31 जुलाई को हार्ट अटैक से चेतराम की मौत हो गई जिसके बाद परिवार की तरफ से न्याय की मांग की गई।
फोर्टिस अस्पताल: गंभीर सेवा दोष प्रमाणित
राज्य उपभोक्ता फोरम ने कहा कि पेट दर्द के मरीज को दिल का रोगी बनाकर उसका इलाज किया गया। अस्पताल का यह कृत्य गंभीर सेवा दोष की श्रेणी में आता है। ऐसे में अस्पताल पर 25 लाख रुपए का अलग से दंडात्मक हर्जाना लगाया जाता है। अदालत ने इलाज में खर्च हुए 2 लाख 84 हजार रुपए भी ब्याज सहित लौटाने को कहा है। यह हर्जाना राज्य उपभोक्ता कल्याण कोष में ब्याज सहित जमा कराया जाए।