प्रशासनिक अधिकारियों को सर नहीं कहेंगे और ना ही इलाज करेंगे: डॉक्टर्स यूनियन | GWALIOR NEWS

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ग्वालियर। गजराराजा मेडिकल कॉलेज (Gajara Raja Medical College Gwalior) में प्रशासन (Gwalior Administration) के दखल से नाराज डॉक्टर खुलकर विरोध के मूड में आ गए हैं। बुधवार को सभी डॉक्टरों की यूनियन की बैठक में तय हुआ है कि कमिश्नर, कलेक्टर, हेल्थ कमिश्नर को अब कोई भी सर नहीं कहेगा, सीधे उनके नाम से पुकारा जाएगा। क्योंकि ब्यूरोक्रेट्स उनके अधिकारी नहीं हैं। इतना ही नहीं अब डॉक्टर किसी भी प्रशासनिक अफसर का इलाज उनके बंगले पर जाकर या क्लीनिक पर नहीं करेंगे। जेएएच में सामान्य मरीज की तरह आने पर ही उपचार किया जाएगा।   

बैठक का आयोजन जीआर मेडिकल कॉलेज (GR Medical College) के सेमीनार हॉल में किया गया। जिसमें मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ.सुनील अग्रवाल, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के डॉ एएस भल्ला, नर्सिंग होम एसोसिएशन के पदाधिकारी, मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएसन, जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के पदाधिकारी मौजूद थे। डॉक्टरों का कहना था कि कमिश्नर और डीन दोनों क्लास वन हैं, ऐसे में सुपीरियर्टी का निर्धारण वेतन से होता है। डीन का वेतन ज्यादा है। इसलिए डॉक्टर खुला पत्र लिखें कि हम कमिश्नर को बॉस की तरह अपने सिर पर बर्दाश्त नहीं करेंगे। लेक्चरर का वेतन कलेक्टर से ज्यादा होता है तो वह कैसे मेडिकल कॉलेज में दखलअंदाजी कर सकते हैं। बैठक में जेएएच एवं निजी चिकित्सक मौजूद थे। हालांकि डीन व अधीक्षक बैठक में शामिल नहीं हुए।

रिटायर्ड प्रो. डॉ एके दुबे : 

पहले तो यह सर कहने की मानसिकता त्याग दें, क्योंकि डॉक्टर सबसे श्रेष्ठतम ब्रेन हैं। गुरू के अलावा कोई सर नहीं होता। आप गांधी जी की तरह असहयोग आंदोलन की राह अपनाएं। ओपीडी में जो मरीज आएं उनको रैफर टू कलेक्टर कमिश्नर लिखा जाए। कोई भी काम या मरीज को दवा भी कमिश्नर-कलेक्टर से पूछे बिना नहीं लिखी जाए।

डॉ एएस भल्ला : 

प्रशासनिक अफसरों को रेवेन्यू एवं अपने अन्य विभागों से कोई मतलब नहीं है। उनके लिए डॉक्टर और अस्पताल सॉफ्ट टारगेट बन गए हैं। अब क्लीनिक स्टेबलिशमेंट बिल लाकर प्रशासनिक अफसरों की दखलअंदाजी को बढ़ाया जा रहा है। इसमें सीएमएचओ की जगह कलेक्टर साइनिंग अथॉर्टी होगा। अधिकारी हमें शिकंजे में रखना चाहते हैं। आप कितने खतरे में हैं समझ सकते हैं। हमारी मांग है कि बिल को रिजेक्ट किया जाए, क्योंकि इसके रहते प्रैक्टिस नहीं कर सकेंगे। यदि कोई अधिकारी निरीक्षण के लिए आता है तो हम काम बंद करके बाहर आ जाएं। आप असहयोग आंदोलन शुरू करें तो अपने आप सबको पता चल जाएगा कि उनके कारण मरीजों को कितनी परेशानी हो रही है।

डॉ सुनील अग्रवाल : 

किसी अधिकारी को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित नहीं किया जाएगा। यदि बुलाया जाता है तो आयोजकों से आग्रह करेंगे, नहीं माने तो आयोजन का बहिष्कार करेंगे। प्रशासनिक अफसरों के ट्रीटमेंट के लिए कोई भी उनके आवास पर नहीं जाएगा न ही घर पर देखा जाएगा। सरकारी अस्पताल में आने पर ही इलाज मिलेगा। यदि कोई डॉक्टर घर पर इलाज के लिए जाता है तो ऐसे लोगों को भी चिन्हित किया जाएगा।

डॉ अनिल शर्मा: 

निजी अस्पताल जहां पर डॉक्टर नहीं है, कार्रवाई करना सही है। मगर मेडिकल कॉलेज में प्रशासनिक अफसरों का दखल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यदि प्रशासनिक अफसर राउंड पर आते हैं तो हमारा कोई भी जूनियर डॉक्टर उनको राउंड नहीं कराएगा, यहां तक की कुर्सी से भी नहीं उठेगा।

शुरू हो चुका असहयोग आंदोलन : 

मेडिकल टीचर्स में प्रशासन के दखल से पहले से ही नाराजगी है। हाल ही में संभागीय कमिश्नर ने सभी डॉक्टरों से जानकारी मांगी थी कि कौन प्रायवेट प्रैक्टिस कर रहा है, कौन नर्सिंग होम में जा रहा है। डॉ सुनील अग्रवाल ने बैठक में बताया कि किसी भी डॉक्टर ने यह जानकारी कमिश्नर को नहीं देकर विरोध दर्ज कराना शुरू भी कर दिया है। रिमाइंडर भी आया है, लेकिन जानकारी नहीं दी गई है।

यह हुए निर्णय
कमिश्नर, कलेक्टर, हेल्थ कमिश्नर को सर नहीं कहेंगे, नाम लेकर बुलाएंगे।
जिला अस्पताल में भी सीएमएचओ के अलावा किसी प्रशासनिक अफसर का दखल बर्दाश्त नहीं करेंगे।
किसी भी समारोह, आयोजन, शिविर में आईएएस, आईपीएस, मंत्री, विधायक को नहीं आमंत्रित किया जाएगा।
मेडिकल कॉलेज, जेएएच, अस्पताल में अनावश्यक आना बधित रहेगा।
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