इंदौर। नगर निगम के अधिकारी कर्मचारी भू माफियाओं के लिए सुपारी बदमाशों की तरह काम करते हैं। वर्षों से खाली पड़े प्लॉट पर एक हाथ ठेले वाला आकर खड़ा हो जाता था, नगर निगम के अधिकारियों ने पूरा प्लॉट उसी के नाम नामांतरण कर दिया और संपत्ति कर इत्यादि की रसीद भी बना दी। दरअसल यह सब कुछ एक भूमाफिया की कहने पर किया गया। ताकि पहले प्लॉट को विवादित बनाया जाए और फिर उस पर आसानी से कब्जा कर लिया जाए।
जोन क्रमांक 14 हवाबंगाला में के विदुर नगर में 738 नंबर का प्लाट रामप्यारी बाई पति मोहनलाल गर्ग ने खरीदा। रामप्यारी बाई का निधन हो गया और उन्होंने अपनी वसीयत में प्लाट का स्वामित्व प्रेमलता पति मुरलीधर गर्ग को दिया। प्लाट पर कब्जे की नीयत से कुछ लोगों ने विदुर नगर में रहने वाले संजय शिंदे के नाम से निगम में संपत्तिकर खाता खुलवाकर 500 रुपए जमा करा दिए, जो कि ठेला लगता है। इसकी जानकारी जब प्लाट मालिक को लगी, तो उन्होंने मय दस्तावेज के शिकायत निगम आयुक्त आशीष सिंह से की। साथ ही जोन के सहायक राजस्व अधिकारी महेंद्र तिवारी और बिल कलेक्टर पवन उपाध्याय की मिलीभगत शिकायत की गई।
इसके बाद आयुक्त सिंह ने मामले की जांच करने के आदेश दिए। राजस्व विभाग की उपायुक्त लता अग्रवाल ने शिकायत के आधार पर जांच करने के साथ प्लाट मालिक और जिसके नाम से खाता खोला गया, उन दोनों को समक्ष में आकर अपना पक्ष रखने का नोटिस जारी किया। जांच के दौरान सामने आया कि विदुर नगर में 738 नंबर प्लाट पर फर्जी तरीके से टेबलेट पर संपत्तिकर खाता खोलकर नामांतरण किया गया है। जोन क्रमांक 10 साकेत नगर के सहायक राजस्व निरीक्षक दिलीप गौड़ ने टेबलेट से खाता खोलकर नामांतरण करना पाया गया।
जांच में शिकायत सही पाए जाने पर एआरओ महेंद्र तिवारी को जोन से हटाकर बल्क कचरा कलेक्शन में ड्यूटी लगा दी गई, लेकिन उन्होंने ड्यूटी ज्वाइन नहीं की। इस पर बल्क कचरा कलेक्शन के प्रभारी अधिकारी अखिलेश उपाध्याय ने शिकायत आयुक्त सिंह से की। इस पर आयुक्त सिंह तिवारी को संस्पेड कर रहे हैं। इसके साथ ही जोन 10 के राजस्व निरीक्षक अतुल रावत को हटा दिया है।