इंदौर। लेनदार के तकादे से परेशान अगरबत्ती व्यापारी (Agarbatti Traders) ने रविवार देर रात फांसी लगा ली। घटनास्थल की जांच में पुलिस ने पांच पेज का सुसाइड नोट जब्त किया है, जिसमें व्यापारी ने TI को संबोधित कर काफी भावुक बातें लिखी है। संतोष (Santosh Burana) पिता गेंदालाल बुराने (Gendalal Burana) निवासी सेक्टर डी स्कीम 71 ने घर में फांसी लगा ली। मौके पर पहुंची पुलिस ने शव और पांच पेज का सुसाइट नोट बरामद किया। छोटे भाई संजय (Sanjay Burana) का कहना है कि भाभी सुबह नींद से जागी तो संतोष के नहीं दिखने पर घर के पिछले कमरे में स्थित अगरबत्ती कारखाने पर पहुंचीं। वहां संतोष को फंदे पर देख घबरा गई।
उनकी आवाज सुन वे वहां पहुंचे, तब तक देरी हो चुकी थी। उनका कहना है कि नोटबंदी के बाद से भाई परेशान थे। कुछ समय पूर्व उन्होंने व्यापार में घाटा होने पर लोगों से कर्ज लिया। बड़े भाई वादे के पक्के थे, इस कारण कुछ समय से लोगों के रुपए नहीं लौटा पाने से दुखी थे। भाई ने खुदकुशी के पूर्व मोबाइल पर रात 3.34 बजे मैसेज भी किया था। सुसाइड नोट में संतोष ने लिखा, ‘माननीय थाना प्रभारी दीक्षित साहब। आपका बहुत नाम सुना है। पुराने बदमाश आपके नाम से थर-थर कांपते हैं। आत्महत्या के लिए कोई जिम्मेदार नहीं है। पांच महीने में तीन चार लोगों को खाली चेक देकर 5-5 व 10-10 हजार लिए थे। कोई परेशान नहीं करता। एक दो माह के लिए रुपए लिए थे, तो वे तकादा करते है। मैंने जीते जी किसी का एक रुपया नहीं खाया।
आपसे निवेदन है कि मेरी मृत्यु पश्चात कोई परिवार को परेशान करे तो उस पर कार्रवाई करना। ब्लैंक चेक दिए थे, कहीं वो उसमें मनमानी राशि लिख परेशान न करें। मरने के बाद मेरे शरीर का कोई अंग किसी के काम आए तो उसे दान दिया जाए। परिवार का सदस्य आपत्ति ले तो समझना। ये मेरी अंतिम इच्छा है। हो सका तो मैं आपको 15-20 मिनट पहले वाट्सएेप पर मैसेज करूंगा ताकि आप त्वरित अंगदान करवा सकें।’ अंत में सेल्यूट सर लिखा है।
नोट में संतोष ने परिवार के सभी सदस्यों व पिता को याद किया है। पिछले महीने आत्महत्या करने की बात लिखी, लेकिन दिवाली का त्योहार मातम में न बदले, इसके लिए कदम नहीं उठाया। फिर लिखा कई माह से परिवार की जिम्मेदारी निभाने में नाकाम रहा। बारिश की वजह से काम बिगड़ गया। इस वजह से किसी को कपड़े तक नहीं दिला सका। एक पेज में लिखा है कि मेरे भाई ने मेरे लिए बहुत कुछ किया। काम न करने पर मुझ पर 1200 रुपए प्रतिदिन का कर्ज बढ़ रह है। कोई नहीं मानेगा कि मैंने 30 अक्टूबर को आत्महत्या की तारीख तय कर ली थी, लेकिन परिवार में सालगिरह और जन्मदिन था।