इंदौर। प्रदूषण विभाग का मुख्य काम यही है कि वह पता लगाए शहर में कितना प्रदूषण है। पिछले कुछ दिनों से इंदौर के लोग दहशत में थे क्योंकि प्रदूषण विभाग बार-बार बता रहा था कि इंदौर की हवाएं जहरीली हो रही है। इंदौर का प्रदूषण दिल्ली के बराबर होने वाला है। 1 दिन तो इंदौर का प्रदूषण दिल्ली से ज्यादा हो गया था। इस मामले में बड़ा खुलासा हुआ कि प्रदूषण इंदौर में नहीं बल्कि प्रदूषण विभाग के सिस्टम में था। प्रदूषण का पता लगाने वाले सेंसर पर ही कचरा जमा था। विभाग अपना सेंसर साफ नहीं कर पाया और पूरे इंदौर में दहशत फैला दी।
पत्रकार श्री विश्वनाथ सिंह की एक रिपोर्ट के अनुसार इंदौर में हालत ये हो गई थी कि 10 दिन से वायु प्रदूषण बताने वाला एक्यूआई (एयर क्वालिटी इंडेक्स) तीन बार 200 के पार होकर ऑरेंज अलर्ट की स्थिति में पहुंच गया था। 23 नवंबर को यह 323 पर आ गया तो शहर की तुलना दिल्ली के प्रदूषण से होने लगी। हालांकि इसी दिन दिल्ली का एक्यूआई 312 था। यानी इंदौर से कम।
इंदौर का प्रदूषण बताने वाले सेंसर पर ही कचरा जमा था
विभाग के रीजनल ऑफिसर आरके गुप्ता ने इसे स्वीकार भी किया। उन्होंने बताया, डीआईजी ऑफिस के मॉनिटरिंग स्टेशन से केंद्र और प्रदेश दोनों के ही विभाग प्रदूषण के आंकड़े लेते हैं। सेंसर की सफाई नहीं होने से एक्यूआई के डाटा बढ़ने लगे। इसे साफ करवाया तो डाटा 174 पर आ गया।
प्रदूषण विभाग के मोबाइल अपने भी गलत जानकारी दी, इंदौर में रेड अलर्ट दिखा दिया
26 अक्टूबर से प्रदूषण विभाग ने नया एप लॉन्च किया है। गुप्ता के मुताबिक, इसमें प्रदूषण के स्तर की लाइव मॉनिटरिंग के साथ लाइव एक्यूआई देखा जा सकता है। 10 दिनों में तीन बार इंदौर ऑरेंज और एक बार रेड जोन में आ गया। अधिकारियों का कहना है कि इस एप को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया है और इसकी टेस्टिंग चल रही है। ऐसे में इसके आंकड़े अभी आधिकारिक तौर पर जारी नहीं किए जा रहे, क्योंकि इसमें कई तकनीकी सुधार चल रहे हैं।
प्रदूषण विभाग के सेंसर के पास कचरा जला तो पूरा इंदौर प्रदूषित बता दिया
गुप्ता ने बताया कि 22 नवंबर के बाद एक बार फिर एक्यूआई 250 से ज्यादा हुआ तो मॉनिटरिंग स्टेशन पर जांच की। वहां किसी ने पास में कचरा जला दिया था, इससे आंकड़ों में फर्क आ गया। मामले की जानकारी तत्काल निगमायुक्त आशीष सिंह को दी तो उन्होंने मौके पर टीम भेजकर संबंधित व्यक्ति पर 5000 रुपए का स्पॉट फाइन लगाया।
नगर निगम कमिश्नर का दावा: हमने पता लगाया सेंसर खराब है
निगमायुक्त आशीष सिंह का कहना था कि जब प्रदूषण के आंकड़े आ रहे थे, तभी हमने विभाग को जांच करने को कहा था, क्योंकि शहर में इतना प्रदूषण है ही नहीं। जांच की तो उनके सेंसर खराब निकले। एक वजह कचरा जलाने की भी सामने आई, जिस पर हमने स्पॉट फाइन किया।