भोपाल। भ्रष्टाचार के लिए प्रदेश ही नही वरन देशभर में कुख्यात हो चुकी सहायक प्राध्यापक भर्ती परीक्षा के तथाकथित चयनित उम्मीदवारों ने अपनी विवादित कार्यशैली से एक नए विवाद को जन्म दे दिया है। दरअसल माननीय उच्च न्यायालय ने विभिन्न याचिकाओं की सुनवाई करते हुए मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सहायक प्राध्यापक भर्ती परीक्षा की चयन सूची पर रोक लगा रखी है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया है कि आरक्षण रोस्टर, महिला और विकलांग आरक्षण इत्यादि कई मामलों में लोक सेवा आयोग ने गलत तरीके से चयन सूची बनाई है। इसके साथ साथ प्रदेश के आरक्षित वर्ग के प्रतिभागियों ने जांच की मांग करते हुए कहा है कि दूसरे प्रदेश के लोगों ने फर्जी जाति एवं निवास प्रमाण पत्रों के माध्यम से चयनित होकर प्रदेश के हज़ारों शिक्षित युवाओं के भविष्य पर कुठाराघात किया है। जांच प्रारम्भ होने की आशंका और मामला उच्च न्यायलय के संज्ञान में आने से घबराए परीक्षा में फर्जीवाड़ा करने वाले लोग आनन फानन में जल्द नियुक्ति पाने के लिए दबाव की राजनीति शुरू कर रहे है।
फर्जी चयनित, यात्रा के माध्यम से बना रहे सरकार पर अनैतिक दबाव
अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के संयोजक डॉ सुरजीत भदौरिया ने कहा है कि तथाकथित चयनित लोग गलत तरीके से सरकार पर नियुक्ति का दबाव बना रहे हैं। जबकि मामला माननीय उच्च न्यायलय के संज्ञान में है एवं न्यायालय ने स्थगन आदेश दे रखा है। केवल चयन सूची में नाम आने भर से कोई नौकरी का अधिकारी नही हो जाता। जबकि परीक्षा के विज्ञापन में यह स्पष्ठ है कि नियुक्ति के लिए कोई धरना प्रदर्शन, विरोध या यात्रा जैसा कोई कृत्य नही कर सकता है।
फर्जी चयनित कर रहे माननीय उच्च न्यायलय की अवहेलना
अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के संयोजक डॉ देवराज सिंह ने कहा ही कि इन तथाकथित चयनित लोगों ने जांच से बचने और जल्द नियुक्ति के उद्देश्य से ये यात्रा प्रारंभ करके माननीय उच्च न्यायलय की भी अवमानना की है। जब मामल माननीय उच्च न्यायालय के स्वतः संज्ञान में है तो फिर अंतिम आदेश आने के पूर्व इस तरह के अनैतिक कृत्य से अनावश्यक रूप से सरकार पर दबाव बनाना किसी तरह ठीक नही कहा जा सकता है
फर्जी चयनितों की यात्रा सरकार को बदनाम करने की साज़िश
अतिथि विद्वान नियमितीकरण मोर्चा के डॉ जेपीएस चौहान तथा डॉ आशीष पांडेय ने कहा है कि मध्यप्रदेश की सरकार प्रदेश के युवाओं एवं अतिथि विद्वानों के हितों के संरक्षण के लिए कृतसंकल्पित है। नई सरकार गठन के पश्चात लगभग सभी क्षेत्रों में शानदार प्रगति हुई है। किन्तु सहायक प्राध्यापक परीक्षा में फर्जीवाड़ा करने वाले इस तरह की यात्रा से सरकार का दुष्प्रचार करने से भी बाज़ नही आ रहे है। डॉ प्रकाश खातरकर ने सरकार व अतिथि विद्वानों के लिए अपमानजनक शब्दावली का प्रयोग किया है। जबकि अतिथि विद्वानों का चयन शासन स्तर से पूर्णतः पारदर्शी प्रक्रिया के तहत किया गया है।
तथाकथित चयनित जांच से बचने और जल्द नियुक्ति हेतु अत्यंत घृणित तरीकों पर उतर आए हैं। यात्रा में अपना सर मुंडवाकर व मुख्यमंत्री कमलनाथ जी का नाम लिखी मटकी लेकर चल रहे ये लोग क्या संदेश देना चाहते है। इस घृणित कार्य की अतिथि विद्वान संघर्ष मोर्चा कड़ी भर्त्सना करता है। अपने मुख्यमंत्री और विभागीय मंत्री के लिए ऐसी घृणित सोच रखने वाले लोग शिक्षक बनने लायक नही है।
डॉ मंसूर अली, प्रदेश प्रवक्ता, अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा भोपाल