नई दिल्ली। भारत में ओरल यानी कि मुंह के कैंसर के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है। अन्य देशों की तुलना में भारत में इस कैंसर का खतरा बहुत ज्यादा है। हालांकि, शुरुआती निदान के साथ इस कैंसर का इलाज संभव है, लेकिन दुर्भाग्य से वेस्टर्न दुनिया की तुलना में भारत में इस कैंसर का सरवाइवल रेट बहुत कम है।
कैंसर के इलाज की पुरानी पद्धति में काफी समस्याएं हैं
नई दिल्ली के डॉ.समीर कौल का कहना है कि पहले का इलाज केवल कैंसर और बीमारी को ठीक करने के लिए किया जाता था, जिसके कारण मरीज को अन्य समस्याओं, जैसे टेढ़ा चेहरा, निशान, टेढ़-मेढ़े दांत, चेहरे के आकार में बदलाव, कंधों में झुकाव आदि से जूझना पड़ता था।
मिनमली इनवेसिव सर्जरी से फोर्थ स्टेज का कैंसर भी ठीक हो जाता है
टेक्नोलॉजी में प्रगति के साथ आज मिनमली इनवेसिव सर्जरी के जरिए सिर और कैंसर के चौथे चरण का इलाज भी संभव हो गया है, जिसके परिणाम भी अच्छे होते हैं। ऐसे कैंसरों के इलाज को बेहतर करने के लिए आज देश में ट्रांस-ओरल रोबोटिक सर्जरी (टीओआरएस) भी उपलब्ध है। इस सर्जरी के परिणाम बेहतर होने के साथ ही मरीज का चेहरा भी खराब नहीं होता है और न ही कोई निशान रह जाते हैं। टीओआरएस के साथ मरीजों के सरवाइवल रेट में भी सुधार आया है।
About TransOral Robotic Surgery (TORS)
डॉ.समीर कौल का कहना है कि ट्रांस-ओरल रोबोटिक सर्जरी एक नई तकनीक है, जो कैंसर की खतरनाक से खतरनाक सेल्स को भी हटा देता है। रोबोटिक हाथ, बिना कोई चीरा लगाए गर्दन की सभी कैंसर कोशिकाओं को हटा देता है। पहले जुबान के ज्यादा अंदर, यानी कि टॉन्सिल्स तक पहुंचना मुश्किल होता था, लेकिन आज टेक्नोलॉजी में प्रगति के साथ वहां तक पहुंचना भी संभव हो गया है। ये प्रक्रिया न सिर्फ कैंसर के मरीजों के लिए बल्कि सर्जनों के लिए भी एक वरदान साबित हुई है। डॉ.समीर कौल का कहना है कि रोबोटिक सर्जरी होने के कारण कैंसर के इलाज में बदलाव हुए हैं यह मिनिमली इनवेसिव प्रक्रिया 100 फीसदी सुरक्षित है।