भोपाल। मध्यप्रदेश के भाजपा नेता एवं खजुराहो लोकसभा सीट से सांसद विष्णु दत्त शर्मा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पद की रेस में दमदार नाम बताए जा रहे हैं। बता दें कि इन दिनों मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के संगठन चुनाव चल रहे हैं। मंडल अध्यक्ष लगभग पूर्ण हो गए। योजना है कि एक ही दिन में सभी 56 जिलों के जिला अध्यक्षों का निर्वाचन हो जाएगा ताकि प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव किया जा सके।
प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह की समीक्षा
वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह अपनी दूसरी पारी के लिए आश्वस्त हैं परंतु शिवराज सिंह के साथ सीधी गुटबाजी के चलते राकेश सिंह का दावा कमजोर होता है। जबलपुर से सांसद राकेश सिंह की प्रदेश अध्यक्ष पद पर नियुक्ति से लेकर अब तक कोई खास उपलब्धि नहीं रही। राकेश सिंह के कार्यकाल में ही भारतीय जनता पार्टी को सत्ता गंवानी पड़ी। संगठन में दौरे और स्वागत कराने के अलावा राकेश सिंह की कोई महत्वपूर्ण भूमिका नजर नहीं आई। भाजपा की सबसे बड़ी चुनौती गुटबाजी को दूर करने में राकेश सिंह ना केवल विफल रहे बल्कि वह खुद एक गुटबाजी नेता साबित हुए। पिछले कुछ दिनों से उनकी और शिवराज सिंह के बीच चल रही गुटबाजी साफ-साफ नजर आ रही है।
प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए इन नामों की भी चर्चा
भाजपा की तरफ से प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए कुछ और नामों की भी चर्चा है। शिवराज सिंह चौहान चुनाव हारने के बाद मध्य प्रदेश की राजनीति पर अपनी पकड़ बनाए रखना चाहते हैं। प्रदेश अध्यक्ष पद पर हुआ अपने किसी नजदीकी का नाम चाहते हैं और यदि ऐसा ना हो सका तो वह खुद सामने आ जाए कोई बड़ी बात नहीं। राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय वर्षों से इस पद के लिए स्वाभाविक दावेदार हैं। पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा का नाम भी लिया जा रहा है, लेकिन पंडितों का कहना है कि मिश्रा जी खुद एक कदम पीछे हो जाएंगे। इसके पीछे उनकी अपनी रणनीति है। पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह, पूर्व मंत्री रामपाल सिंह, सांसद प्रभात झा और सांसद वीरेंद्र खटीक कुछ ऐसे नाम हैं जो हमेशा चर्चाओं में आ ही जाते हैं।
सांसद वीडी शर्मा की समीक्षा
चंबल मूल के विष्णु दत्त शर्मा छात्र राजनीति सही सक्रिय हैं। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नेता होने के नाते राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में उनकी खास पकड़ है। RSS से संबंधों के चलते ही उन्हें खजुराहो सीट से लोकसभा का टिकट मिला था। वीडी शर्मा संगठन के आदमी है, पूरे मध्यप्रदेश में काम किया है, संगठन का अच्छा अनुभव है, समर्थकों की संख्या भी कम नहीं है। गुटबाजी के इस दौर में जबकि भाजपा लगातार कमजोर होती जा रही है वीडी शर्मा एक अच्छा नाम हो सकते हैं लेकिन भाजपा के कुछ नेता कतई नहीं चाहते कि वीडी शर्मा आगे बढ़े। विष्णु दत्त शर्मा का गुस्सा और गाहे-बगाहे किसी से भी लड़ जाने की आदत उनके लिए नुकसान हो सकती है।