सीहोर/ नसरुल्लागंज। रेत के अवैध कारोबार की तह तक पहुंचने में प्रशासन को पहली बार बड़ी सफलता हाथ लगी है। माइनिंग, राजस्व व पुलिस की टीम ने मंगलवार को नसरुल्लागंज के दो कंप्यूटर सेंटरों पर छापामार कार्रवाई की। इन दोनों सेंटरों पर सीहोर के बजाय छिंदवाड़ा, जबलपुर, होशंगाबाद और नरसिंहपुर की ग्राम पंचायतों के नाम पर हर रोज औसतन 100 डंपरों की रायल्टी बनाई जा रही थी।
इंदौर रोड स्थित वन टच सेंटर पर कर्मचारी शैतान सिंह द्वारा 50 से अधिक रायल्टी अन्य जिलों की ग्राम पंचायतों के नाम से जनरेट करना पाया गया। इसी तरह नीलकंठ रोड स्थित ओम साई कंप्यूटर शॉप (Om Sai Computer Shop) पर दिनेश यादव (Dinesh Yadav) के कंप्यूटर सिस्टम में भी करीब 50 रायल्टी बनाना पाया गया। माइनिंग अधिकारी एमए खान ने बताया कि यह कार्रवाई भोपाल से आए आईटी विशेषज्ञ राजेश शर्मा की मदद से की गई। इसके लिए कलेक्टर अजय गुप्ता ने प्रमुख सचिव खनिज नीरज मंडलोई से चर्चा की थी। पुलिस ने शैतानसिंह, दिनेश सहित चार लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
ऐसे हुआ अवैध रायल्टी के खेल का खुलासा
कुछ दिन पहले माइनिंग विभाग ने कुछ रेत से भरे डंपर पकड़े थे। ये सभी छिपानेर, मंडी, अतरालिया आदि से भरे गए थे, लेकिन इनके पास जो रायल्टी मिलीं वह जबलपुर, छिंदवाड़ा, होशंगाबाद और नरसिंहपुर की हैं। जबकि वे स्थान यहां से काफी दूर हैं।
इस उदाहरण से समझिए अवैध रायल्टी से फायदा
ग्राम पंचायत में 125 रुपए प्रति घन मीटर के हिसाब से रॉयल्टी काटी जाती है। जबकि जो रेत खदानें नीलामी में ली जाती हैं वे फर्म 500 से 600 रुपए प्रति घन मीटर के हिसाब से रायल्टी काटती हैं। यानि प्रति घन मीटर 375 से 475 रुपए का फायदा होता है। अगर 20 घन मीटर रेत एक डंपर में आती है तो प्रति डंपर 15 हजार रुपए तक का फायदा हो रहा था।