भोपाल। ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) के समर्थन में दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) पर खुला हमला करने वाल वनमंत्री उमंग सिंघार (Forest Minister Umang Singhar) और अपर मुख्य सचिव एपी श्रीवास्तव (Chief Secretary AP Srivastava) के बीच चल रहा तनाव बढ़ता जा रहा है। हालात यह है कि अवमानना के मामलों में भी फैसला नहीं लिया जा रहा है। ऐसे ही एक अवमानना मामले की फाइल एक माह से वन सचिवालय में पड़ी है। इसमें हाई कोर्ट ने 30 हजार रुपए का जमानती वारंट जारी किया है।
विभाग को एक नवंबर को मामले में निर्णय लेकर कोर्ट में जवाब पेश करना था। किन्हीं कारणों से कोर्ट ने 15 नवंबर तक जवाब मांग लिया, लेकिन जवाब अब तक तैयार नहीं हुआ है। अफसरों पर शिकंजे से शुरू हुई वनमंत्री सिंघार की सख्ती विभाग की कार्यप्रणाली के लिए परेशानी बन गई है। मंत्री ने 10 अक्टूबर को अपने स्तर से सचिवालय के अफसरों के बीच कार्य विभाजन किया। इसके बाद से फाइलें अटकना शुरू हो गईं। वर्तमान में डेढ़ सौ से ज्यादा फाइलें अटकी हैं। इनमें कोर्ट केस की फाइलें भी हैं। प्रदेश के पूर्व पीसीसीएफ आरडी शर्मा के मामले में तो हाईकोर्ट ने जमानती वारंट जारी किया है। फिर भी तय समय में फैसला नहीं हो पाया।
शर्मा वर्ष 2002 में रिटायर्ड हुए हैं और उन्होंने वन बल प्रमुख को दिया जाने वाला अपेक्स वेतन मांगा है। उनका तर्क है कि वे विभाग प्रमुख रहे हैं, इसलिए उन्हें यह वेतन दिया जाना चाहिए। जबकि विभाग कहता रहा है कि वन बल प्रमुख का पद वर्ष 2008 में बना है। हालांकि कोर्ट ने शर्मा के तर्कों को सही मानते हुए शासन को निर्देश दिए थे कि शर्मा को अपेक्स वेतन दिया जाए। निर्देशों का पालन नहीं हुआ तो शर्मा ने अवमानना का मामला लगा दिया और उस पर जमानती वारंट जारी हो गया। ऐसे ही सीसीएफ अजीत श्रीवास्तव के मामले में कैट में जवाब जाना था। सरकार ने श्रीवास्तव की एक वेतनवृद्धि रोकी है। उन पर लकड़ी व्यापारी से राशि मांगने का आरोप है।
CS को भेजी नोटशीट
सूत्रों के मुताबिक विभाग के वर्तमान हालातों में एसीएस श्रीवास्तव ने मुख्य सचिव को नोटशीट लिखी है। इसमें कहा गया है कि वे विभाग में काम नहीं करना चाहते हैं। हालांकि श्रीवास्तव इस संबंध में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। उधर, यह भी चर्चा है कि मुख्यमंत्री कार्यालय में विभाग से आने वाली फाइलें एसीएस के माध्यम से ही भेजी जाएगी। उल्लेखनीय है कि मंत्री ने कार्यविभाजन किया है। इसमें एसीएस के अधिकारों में कटौती कर दी है।
जांच कराने की जरूरत नहीं
पौधरोपण की जांच भी ईओडब्ल्यू को सौंपे जाने पर संदेह है। सूत्र बताते हैं कि विभाग ने इस फाइल को जांच की जरूरत नहीं होने की अनुशंसा के साथ मुख्यमंत्री कार्यालय को भेज दिया है। वनमंत्री सिंघार ने इस मामले में प्रेस कॉन्फ्रेंस लेकर मामला ईओडब्ल्यू को सौंपे जाने की घोषणा की थी।