तानाजी की असली कहानी, कौन थे और शिवाजी के लिए क्यों महत्वपूर्ण थे | Name of narvir tanaji

Bhopal Samachar
अजय देवगन की फिल्म तानाजी का ट्रेलर रिलीज हो गया है। इसी के साथ ही शिवाजी की सेना की उस युद्ध की कहानियां भी ताजा हो गई जो सदियों पहले किताबों में दफन हो गई थी। लोग जानना चाहते हैं कि तानाजी  कौन थे, शिवाजी की सेना में उनका कितना महत्व था, शिवाजी क्यों हुए इतना मान सम्मान देते हैं. क्या तानाजी शिवाजी की सेना के सेनापति थे। तानाजी ने ऐसा क्या किया जो उनकी याद में शिवाजी ने किले का नाम ही बदल दिया। आइए जानते हैं इन सब सवालों के जवाब:

शिवाजी महाराज की सेना में किस पद पर थे तानाजी


छत्रपति शिवाजी महाराज की सेना के वीर सिपाही तानाजी ने जिस 'कोंढाणा' जिले को जीतने में अपनी जान दे दी, वह किला उनकी मौत के बाद सिंहगढ़ किले के नाम से जाना जाता है। यह किला महाराष्ट्र के पुणे जिले में स्थ‍ित है। कोंढाणा किला बहुत पुराना है। इस किले पर शिवाजी महाराज से पहले भी कई राजाओं ने राज किया था। छत्रपति शिवाजी महाराज के समय यह किला उनके कब्जे में था। जब यह किला आदिलशाह के पास था तो दादोजी कोंडदेव इस किले के ही सूबेदार थे। यहीं पर आदिलशाह ने अपनी छावनी बनाई थी।

सिंहगढ़ का किला शिवाजी महाराज ने मुगल राजा आदिलशाह दे दिया था 


बाद में शिवाजी महाराज ने इसे अपने कब्जे में लिया। सन् 1649 ईस्वी में शिवाजी महाराज ने आदिलशाह से अपने पिता को छुड़ाने के बदले में यह किला उन्हें वापस कर दिया। शिवाजी महाराज ने जून 1665 में मुगलों से किए गए करार के तहत कोंढाणा समेत 22 किले उन्हें लौटाए थे। इस करार से शिवाजी महाराज काफी दुखी हुए थे और उनकी भावना को ठेस पहुंची थी। उन्होंने मराठाओं की सेना के लिए महत्वूपर्ण यह किला वापस कब्जे में लेने का निर्णय लिया।

तानाजी का पूरा नाम, शिवाजी के लिए क्यों महत्वपूर्ण थे तानाजी | Name of narvir tanaji | Tanaji ka pura name kaya hai


शिवाजी महाराज की सेना में कई सरदार थे जो कोंढाणा किले को जीतने के लिए तैयार थे लेकिन इस असंभव काम के लिए शिवाजी ने तानाजी मालुसरे का चयन किया जो शिवाजी के बचपन के दोस्त और उनके खास सरदार थे। उन्होंने कई युद्धों में शिवाजी का साथ दिया था।

बेटे की शादी छोड़कर युद्ध पर गए थे तानाजी


जब कोंढाणा किले की लड़ाई की तैयारी की जा रही थी, तभी तानाजी के बेटे रायबा की शादी भी की जाने वाली थी। शिवाजी के सरदार शेलार मामा ने तानाजी को रायबा की शादी करने के बाद कोंढाणा किले मुहिम पर जाने की सलाह दी लेकिन तानाजी ने शेलार मामा की बात न मानते हुए कोंढाणा किले की मुहिम पर जाना तय किया।

शिवाजी ने तानाजी की याद में इस किले का नाम सिंहगढ़ रखा | Tanaji film konsi samaj se he | Quote of Shivaji on death of tanaji malusare meaning in Hindi


तानाजी ने 4 फरवरी 1672 को अपनी सेना के साथ कोंढाणा किले पर आक्रमण किया। मराठाओं ने मुगलों को हराकर यह किला जीत लिया लेकिन इसमें तानाजी को शहादत देनी पड़ी। जब शिवाजी महाराज को यह संदेश मिला तो उन्होंने कहा कि गढ़ मिला लेकिन शेर नहीं रहा। इसके बाद छत्रपति शिवाजी ने तानाजी की याद में इस किले का नाम सिंह (शेर) गढ़ रखा। सिंहगढ़ पर तानाजी का स्मारक भी बनाया गया।

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