नई दिल्ली। महाराष्ट्र में चल रहा महासंग्राम अब अपने अंतिम पड़ाव पर आ गया है। शरद पवार और सोनिया गांधी की मुलाकात के बाद पवार ने कोई आधिकारिक बयान तो नहीं दिया परंतु NCP सूत्रों ने दावा किया है कि बात पक्की हो गई है। शिवसेना सरकार का मुख्य घटक होगी, NCP सत्ता में शामिल होगी और कांग्रेस इस गठबंधन को बाहर से बिना शर्त समर्थन देगी।
NCP सदन में स्पीकर का पद चाहती है
मुंबई के पत्रकार प्रफुल्ल मारपकवार की रिपोर्ट के अनुसार एनसीपी के एक नेता ने नाम न बताने की शर्त पर उन्हे बताया कि पार्टी शिवसेना के नेतृत्व वाली सरकार का हिस्सा बनने की इच्छुक है। इसके लिए वह स्पीकर पद पर अपना नेता चाहती है। पार्टी चाहती है कि कांग्रेस इस गठबंधन को बाहर से समर्थन दे। नेता ने आगे बताया कि यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि शिवसेना और बीजेपी का गठबंधन बन पाता है अथवा नहीं। एनसीपी नेता ने कहा कि "हमने 1995 के सेना-बीजेपी जैसा फॉर्म्युला सुझाया है। इसमें सेना का नेता चीफ मिनिस्टर था और बीजेपी का नेता उपमुख्यमंत्री। हमने कहा है कि सेना का नेता सीएम हो सकता है और डेप्युटी सीएम एनसीपी का नेता होगा।"
सदन में किस दल को कितनी सीटें
भारतीय जनता पार्टी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में 105 सीटें जीती हैं, शिवसेना ने 56, एनसीपी ने 54 और कांग्रेस ने 44 सीटों पर जीत हासिल की है। इस तरह भाजपा महाराष्ट्र की सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई। शिवसेना 56 सीटों के साथ लगभग आधे पर सिमट गई। नतीजों के बाद शिवसेना ढाई साल मुख्यमंत्री की मांग पर अड़ गई थी जबकि भाजपा इसे तवज्जो नहीं दे रही थी।
उद्धव ठाकरे का सीधा प्रस्ताव चाहते हैं पवार
सोमवार को सोनिया गांधी के साथ बहुप्रतीक्षित बैठक के बाद एनसीपी अध्यक्ष ने कहा कि राज्य में सरकार बीजेपी और शिवसेना को बनानी थी, आखिर उनके पास संख्या थी। साथ ही उन्होने कहा था एनसीपी को विपक्ष में बैठने का जनादेश मिला था, लेकिन 'आप भविष्य के बारे में कुछ नहीं कह सकते। पवार ने कहा कि उन्हें शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे से कोई प्रस्ताव नहीं मिला है। हालांकि पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि भविष्य के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता।
शिवसेना पहले गठबंधन से बाहर आए तब विचार करेंगे
खबर है कि पवार ने कांग्रेस अध्यक्ष से शिवसेना से दूरी बनाए रखने के अपने स्टैंड के बारे में दोबारा विचार करने और अपनी पार्टी की राज्य ईकाई को इस बारे में ग्रीन सिग्नल देने के लिए कहा। इस बीच हालांकि खबर है कि कांग्रेसी नेताओं का कहना है कि सेना को बीजेपी के साथ अपने गठबंधन से बाहर आना होगा। इसके बाद ही उनकी पार्टी किसी तरह के गठबंधन के बारे में विचार कर सकती है।
बीजेपी को सत्ता से बाहर रखना ही प्राथमिकता
महाराष्ट्र के एक पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य कांग्रेस ईकाई ने पिछले सप्ताह सोनिया गांधी को बताया था कि कांग्रेस को राज्य में बीजेपी को सत्ता में रोकने के कदम उठाने चाहिए। उन्होंने कहा, 'बैठक के दौरान इस बात पर सहमति थी कि बीजेपी को सत्ता में आने से रोका जाना चाहिए।'
उनसे जब पूछा गया कि क्या कांग्रेस सेना के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल होगी तो उन्होंने कहा कि कांग्रेस-एनसीपी की पहली प्राथमिकता बीजेपी को सत्ता से दूर रखना है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, 'हमने अभी सरकार में शामिल होने अथवा बाहर से समर्थन देने के मुद्दे पर फैसला नहीं किया है लेकिन हमारी कोशिश बीजेपी को पावर में आने से रोकने की है।'
शिवसेना की विश्वसनीयता पर संदेह
सोनिया गांधी से मुलाकात करने वालों में राज्य कांग्रेस अध्यक्ष बालासाहेब थोरट, पूर्व अध्यक्ष माणिकराव ठाकरे और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण और पृथ्वीराज चव्हाण मौजूद थे। हालांकि एनसीपी के एक अन्य नेता ने कहा कि उन्हें इस बारे में संदेह कि सेना सरकार बनाने की पहल करेगी। उन्होंने कहा कि पहले भी सेना ने बीजेपी के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है लेकिन आखिर पल में 'बीजेपी लीडरशिप के सामने समर्पण कर दिया है।' उन्होंने कहा, 'हमें शिवसेना के साथ ऐसा ही अनुभव है। उनकी विश्वसनीयता पर संदेह है।'
अब उद्धव ठाकरे पर टिकी निगाहें...
एनसीपी नेता ने कहा, 'कांग्रेस और एनसीपी शिवसेना के प्रयासों में तभी साथ आएंगे, यदि उद्धव ठाकरे निजी रूप से दोनों पार्टियों को सरकार में शामिल होने का न्योता देंगे। पवार से जब दिल्ली में पत्रकारों ने यह पूछा कि क्या वह एक बार फिर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनेंगे तो उन्होंने इससे साफ इंकार कर दिया।