मुंबई। आरबीआई ने बैंकों को निर्देश दिए हैं कि 1 जनवरी 2020 से नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड्स ट्रांसफर (एनईएफटी) पर बचत खाताधारकों से कोई शुल्क नहीं लिया जाए। डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने के मकसद से आरबीआई ने शुक्रवार को ये निर्देश जारी किए। बता दें कि फिलहला कम से कम 10 रुपए और अधिकतम शुल्क सभी बैंकों में अपने अनुसार तय कर रखे हैं।
नॉन कैश रिटेल पेमेंट में डिजिटल पेमेंट की 96% हिस्सेदारी
आरबीआई ने सभी अधिकृत पेमेंट सिस्टम्स को नेशनल इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन फास्टैग से लिंक करने की मंजूरी भी दी है। फास्टैग का इस्तेमाल अब पार्किंग शुल्क के भुगतान और पेट्रोल पंप पर भी किया जा सकेगा।
आरबीआई ने बताया कि अक्टूबर 2018 से सितंबर 2019 तक नॉन कैश रिटेल पेमेंट में डिजिटल पेमेंट की 96% हिस्सेदारी रही। इस दौरान 252 करोड़ एनईएफटी और 874 करोड़ यूपीआई ट्रांजेक्शन हुए।
आरबीआई ने जून में मौद्रिक नीति की समीक्षा के वक्त ही एनईएफटी के शुल्क खत्म करने का फैसला ले लिया था, लेकिन इसे अनिवार्य रूप से लागू करने की तारीख तय नहीं की थी। बैंक एनईएफटी ट्रांजेक्शन की वैल्यू के आधार पर 1 रुपए से 25 रुपए तक शुल्क लेते हैं।
आईसीआईसीआई समेत कुछ बैंक इंटरनेट बैंकिंग और मोबाइल ऐप से एनईएफटी पर शुल्क नहीं लेते, सिर्फ ब्रांच से ट्रांजेक्शन पर चार्ज लगता है। एसबीआई ने भी जुलाई में नेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग और योनो के जरिए एनईएफटी पर शुल्क खत्म कर दिए थे। साथ ही ब्रांच से एनईएफटी पर चार्ज 20% तक घटा दिए थे।