इंदौर। उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी इन दिनों दो पाटों के बीच में पिस रहे हैं। एक पाट का नाम है पीएससी चयनित सहायक प्राध्यापक और दूसरे पाट का नाम है शासकीय महाविद्यालयों में कार्यरत अतिथि विद्वान। मुंडन और रैली के बाद दबाव में आए मंत्री जीतू पटवारी में सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति आदेश जारी करना शुरू कर दिए तो सरकारी कॉलेजों में पढ़ा रहे अतिथि विद्वान नाराज हो गए क्योंकि सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति के साथ ही अतिथि विद्वानों की सेवा समाप्ति भी शुरू हो गई है। शुक्रवार को अतिथि विद्वानों ने मंत्री जीतू पटवारी को घेर डाला। दो पाटों के बीच में फंसे जीतू पटवारी ने सवाल किया यूपीएससी चयनित सर मंडवा कर घूम रहे हैं बताइए ऐसे में मैं क्या करूं।
2 महीने पहले ही जीतू पटवारी ने कहा था कि किसी भी अतिथि विद्वान की नौकरी नहीं जाएगी
2017 में प्रदेश की भाजपा सरकार ने कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसरों की भर्ती प्रक्रिया जारी की थी। PCS के जरिए होने वाली भर्ती प्रक्रिया तमाम विवादों में उलझी है। एक के बाद एक संशोधन कर बीती सरकार ने जल्दबाजी में प्रक्रिया करवा ली। बिना इंटरव्यू के चयन सूची तय हुई। चयनित उम्मीदवारों द्वारा पेश दस्तावेजों में गड़बड़ी की शिकायत के बाद जांच तक नहीं की गई। महिला आरक्षण में भी गड़बड़ी सामने आई। मामले कोर्ट में लंबित है। इस बीच चयनित प्राध्यापकों ने सिर मुंडवाकर पदयात्रा शुरू की तो उच्च शिक्षा विभाग ने नियुक्ति आदेश जारी करना शुरू कर दिया। साथ ही कॉलेजों से अतिथि शिक्षकों को हटाने का सिलसिला भी शुरू हो गया। इस पर अतिथि शिक्षक भड़क गए, क्योंकि दो महीने पहले ही इन्हें पटवारी ने आश्वासन दिया था कि किसी की भी नौकरी नहीं जाएगी।
घबराए मंत्री जीतू पटवारी, फोटो खिंचवाने से मना किया
कॉलेज से निकलकर शुक्रवार शाम सात-आठ महिला प्रोफेसर पटवारी के बिजलपुर स्थित घर पहुंच गईं। वे दो घंटे इंतजार करती रहीं। इंतजार बढ़ता देख उन्होंने मंत्री के स्टाफ के सामने नाराजगी जताई। बाद में मंत्री उनसे मिलने आए। महिला प्रोफसरों ने पटवारी को वादा याद दिलाते हुए कहा कि आप बिना जांच के फर्जी प्रमाणपत्र लगाने वालों को नियुक्ति देकर हमें हटा रहे हैं। महिलाओं के साथ आरक्षण में भी भेदभाव कर मेरिट वालों को बाहर कर दिया गया है। पटवारी ने कहा कि किसी को नहीं हटाया जाएगा। मैं विभाग को निर्देश दे रहा हूं। ज्ञापन देने वाली महिला अतिथि शिक्षिकाओं ने फोटो लेना चाहा तो मंत्री ने हाथ जोड़कर मना कर दिया।
पीएससी चयनित उम्मीदवारों के खिलाफ अतिथि विद्वानों का पोल-खोल अभियान
चयनित असिस्टेंट प्रोफेसरों की गड़बड़ियों के दस्तावेज महिला शिक्षिकाओं ने सोशल मीडिया के जरिए सार्वजनिक करना शुरू कर दिया है। ग्वालियर में नियुक्त एक असिस्टेंट प्रोफेसर ने नौकरी करते हुए नियमित बीएड कोर्स किया। नियमानुसार ऐसा नहीं हो सकता। ऐसे ही कुछ अन्य चयनित उम्मीदवारों के फॉर्म भी वायरल हो गए हैं। इनमें से कई ऐसे हैं जिन्होंने पीएचडी में पंजीकृत होने के सात-आठ महीने में ही पीएचडी उपाधि भी हासिल कर ली। ऐसा भी नियमानुसार संभव नहीं है। इन गड़बड़ियों के बावजूद चयन होना और नियुक्ति दी जाने पर सरकार की मंशा पर सवाल खड़े हो रहे हैं।