अब्दुल वसीम अंसारी/राजगढ़। एक बार फिर भोपाल समाचार की खबर का तत्काल असर हुआ है। राजगढ़ पुलिस ने एससी एसटी एक्ट के मामले में आजाद घूम रहे शिक्षक को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया है। अब उस निर्दोष नागरिक के माथे पर लगा कलंक भी मिट जाएगा जो या तो किसी साजिश के या फिर पुलिस की लापरवाही के कारण लग गया था।
पुलिस ने निर्दोष नागरिक को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था
करेड़ी गावँ में दो माह पहले हुए ज़मीनी विवाद में हुई मारपीट की रिपोर्ट राजगढ़ विधायक के दखल के बाद 22 घण्टे बाद दर्ज की गई थी। दलित दंपति ने इस मामले में शासकीय कर्मचारी एवं शिक्षक जगदीश पुत्र बालू सिंह को आरोपित किया था परंतु पुलिस ने शिक्षक की नौकरी बचाने के लिए कथित मिलीभगत करके उसके सामान नाम वाले दूसरे व्यक्ति जगदीश पुत्र भंवर सिंह को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया।
भोपाल समाचार में खबर प्रकाशित होने के बाद हरकत में आई पुलिस
इस मामले में फरियादी खुद आवेदन लेकर यहां-वहां भटक रहा था। वह दावा कर रहा था कि पुलिस ने जिसे गिरफ्तार कर लिया है वह आरोपी नहीं है। आरोपी शिक्षक तो खुला घूम रहा है। बावजूद इसके उसकी कोई सुनवाई नहीं हो रही थी। पुलिस एक ही बात दोहरा रही थी कि फरियादी ने जिसका नाम बताया था उसी को गिरफ्तार किया है। 27 नवंबर 2019 को भोपाल समाचार ने इस मामले को प्रमुखता से प्रकाशित किया (यहां पढ़ें)। खबर प्रकाशित होते ही राजगढ़ पुलिस हरकत में आई और उसे अपनी गलती सुधार नहीं पड़ी। पुलिस ने शिक्षक जगदीश पुत्र बालू सिंह को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया जहां से उसे जेल भेज दिया गया।
थाना प्रभारी के खिलाफ कार्रवाई अभी बाकी है
इस मामले में निर्दोष नागरिक को गिरफ्तार करने वाले थाना प्रभारी के खिलाफ कार्यवाही अभी शेष है। यदि साजिश को प्रमाणित ना किया जा सके तब भी थानेदार की लापरवाही के कारण एक निर्दोष नागरिक को जेल जाना पड़ा। इस तरह की कार्रवाइयों के कारण ही देशभर में एससी एसटी एक्ट के खिलाफ माहौल बनता है। पुलिस अधीक्षक राजगढ़ को चाहिए कि वह थाना प्रभारी को सस्पेंड कर उनके खिलाफ विभागीय जांच शुरू करें। ताकि सनद रहे और जिले में कोई दूसरा थाना प्रभारी इस तरह की हरकत ना कर पाए।