भोपाल। रीवा नगर निगम के कमिश्नर सभाजीत यादव राजनीति में काफी रुचि रखते हैं। केवल रुचि की बल्कि राजनीति कर भी लेते हैं। पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ला को 96 लाख का रिकवरी नोटिस भेजने के बाद अब आईएएस सभाजीत यादव ने शिवराज सिंह के नाम एक खुला पत्र लिखा है। इस पत्र के माध्यम से यादव ने शिवराज सिंह की पत्नी साधना सिंह और डंपर मामले को फिर से सुर्खियों में लाने की कोशिश की है।
चिट्ठी में किराए के मकान को खाली कराने की बात
रीवा नगर निगम कमिश्नर सभाजीत यादव ने पूर्व सीएम शिवराज सिंह को पत्र लिखकर कहा कि कुछ लोग मेरे पास आए थे और आपकी पत्नी के के नाम से किराए पर लिए गए एक मकान की साफ सफाई करने के लिए कहा, ताकि उस मकान में डंपर खड़े किए जा सकें। इस तरह कमिश्नर सभाजीत यादव ने एक ऐसी राजनीतिक चाल चली जिसने वर्षों पुराने डंपर कांड को फिर से सुर्खियों में ला दिया। इस पत्र का कोई सिर पैर नहीं है लेकिन इसे एक पॉलिटिकल अटैक कहा जा सकता है। इस तरह के हमले अक्सर नेता एक दूसरे पर क्या करते हैं।
शिवराज सिंह की प्रतिक्रिया
हालांकि इस पत्र को लेकर पूर्व सीएम शिवराज सिंह ने कहा कि ये पत्र मुझे मिला ही नहीं है और जहां तक डंपर कांड का सवाल है, उसकी सच्चाई सबको पता है। डंपर कांड को लेकर सुप्रीम कोर्ट-हाईकोर्ट का फैसला सबके सामने है। कांग्रेस को आज भी सपने में भी सिर्फ शिवराज सिंह चौहान ही आता है।
पहले शिवराज सिंह ने सभाजीत यादव की पत्नी पर टिप्पणी की थी
रीवा नगर निगम कमिश्नर ने भाजपा सरकार में खनिज मंत्री रहे राजेंद्र शुक्ला को चार करोड़ 96 लाख की रिकवरी का नोटिस भेजा था, जिसमें मंत्री ने विस्थापितों को एकीकृत आवास और मलिन बस्ती कार्यक्रम के तहत बनाए गए मकानों पर कब्जा कराया लेकिन लोगों ने मार्जिन मनी जमा नहीं किया, जिसके चलते हुई हानि को वसूलने के लिए निगम कमिश्नर ने नोटिस भेजा था। रीवा दौरे के दौरान पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने नगर निगम कमिश्नर की कार्रवाई पर सवाल उठाए थे। शिवराज सिंह ने कहा था कि कमिश्नर सभाजीत यादव की पत्नी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ चुकी है इसलिए कमिश्नर सभाजीत यादव कांग्रेस की मानसिकता के साथ काम कर रहे हैं। माना जा रहा है कि सभाजीत यादव ने शिवराज सिंह पर इस तरह से जवाबी हमला किया है।
कांग्रेस ने कहा जांच होनी चाहिए
इस पत्र को लेकर कांग्रेस प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता का कहना है कि जो कुछ भी नगर निगम कमिश्नर ने लिखा है वो कागज पर लिखा है। ये पत्र जांच का विषय है। अधिकारी ने जिम्मेदारी के साथ पत्र लिखा है और उसमें कोई बयान नहीं है। इसकी जांच होनी चाहिए। अगर गंभीर तथ्य है तो जांच के बाद सच्चाई सामने आएगी।