ग्वालियर। हाईकोर्ट की युगल पीठ में पुलिस अधीक्षक ने अपहरण के एक मामले में अपना जवाब पेश कर दिया। इसके तहत नाबालिग को तलाशने के लिए SIT का गठन कर दिया है। पूरे मामले में लापरवाही बरतने वाले ASI अनिल शर्मा व प्रधान आरक्षक अरविंद शर्मा को निलंबित कर दिया गया है।
गत दिवस हाईकोर्ट ने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल खड़े किए थे। यह सुनकर आश्चर्य होता है कि पुलिस जयपुर गई थी और 5 हजार रुपए पेट्रोल पर खर्च कर दिए। विभाग से पैसा भी क्लेम नहीं किया। हाईकोर्ट में एक नाबालिग के पिता द्वारा एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की गई है। उनकी ओर से तर्क दिया गया कि नाबालिग स्कूल के लिए निकली थी, लेकिन रास्ते में अपहरण कर लिया गया। गोला का मंदिर थाना में शिकायत भी दर्ज की गई, लेकिन पुलिस ने महज खानापूर्ति की। ना तो नाबालिग की तलाश की, न कोई आगे की कार्रवाई कर रही है। कोर्ट के नोटिस के बाद सीएसपी मुरार ने रिपोर्ट पेश की।
उनकी ओर से बताया गया कि नाबालिग की जानकारी जयपुर में रहने की मिली है। पुलिस पार्टी उसे तलाशने गई थी, लेकिन वह नहीं मिली। इसी रिपोर्ट पर कोर्ट ने आपत्ति करते हुए कहा कि थाने में बैठकर खाका तैयार किया गया है। पुलिस युवती को तलाशने में कोई कार्रवाई नहीं की गई है। हाईकोर्ट ने पुलिस अधीक्षक नवनीत भसीन को तलब कर लिया था। पुलिस कैसे काम कर रही है, उसकी जानकारी उन्हें दी गई। साथ ही कोर्ट ने सवाल किया था कि पुलिस कौनसी गाड़ी से जयपुर गई थी।
कोर्ट ने पूछा कि यदि पुलिस जयपुर गई तो कितने का पेट्रोल भरवाया था। कितने टोल दिए। इस सवाल के जवाब में कहा कि 5 हजार रुपए का पेट्रोल भरवाया था। 1000 किमी गाड़ी चलाई थी। कोर्ट ने पूछा कि विभाग से पैसा क्लेम किया। पुलिस की ओर से जवाब मिला नहीं। कोर्ट ने आश्चर्य जताया और कहा कि पुलिस अधीक्षक शुक्रवार को न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की कोर्ट में उपस्थित रहें। एसपी नए जवाब के साथ उपस्थित हुए। नाबालिग को तलाशने के लिए एसआईटी के गठन की जानकारी दी। एएसआई व प्रधान आरक्षक को निलंबित करने की जानकारी दी।