हनुमान जी को सवा दो करोड़ चढ़ावा आया था, आयकर विभाग ने ₹2 करोड़ टैक्स मांग लिया | INDORE NEWS

Bhopal Samachar
इंदौर। आयकर विभाग की एक पड़ताल के अनुसार इंदौर के सुप्रसिद्ध एवं प्राचीन रणजीत हनुमान मंदिर पर पूरे साल भर में 2.25 करोड़ रुपए चढ़ावा आया था। आयकर विभाग ने टैक्स एवं पेनल्टी लगा कर 2 करोड रुपए कार्ड डिमांड नोट भेज दिया है। आयकर अधिकारियों का कहना है कि केंद्र सरकार के नए नियमों के अनुसार मंदिर को दानपात्र में आए चढ़ावे में से 77% टैक्स अदा करना होगा। बता दें कि यह मंदिर सरकारी है, सरकारी जमीन पर स्थित है एवं इसके प्रशासक मध्यप्रदेश शासन द्वारा नियुक्त अनुविभागीय अधिकारी (SDM) होते हैं।

आयकर विभाग ने हनुमान जी को टैक्स चोर बताया

इंदौर के रणजीत हनुमान मंदिर को आयकर विभाग ने 2 करोड़ की कर चोरी के मामले में नोटिस दिया है। नोटबंदी के दौरान रणजीत हनुमान मंदिर की दान पेटियों से 26 लाख से अधिक की राशि मिली थी। उस पैसे को मंदिर प्रबंधन ने मंदिर के नाम पर खुले बैंक खाते में जमा करा दिया था। इतनी राशि एक साथ जमा होने के कारण आयकर विभाग ने मामला संदिग्ध मानते हुए पकड़ लिया। उन्होंने पूरे साल 2016-17 की मंदिर की आय निकाली तो पता चला कि इस दौरान करीब सवा दो करोड़ रुपए की राशि मंदिर को दान में मिली थी।

टैक्स और पेनल्टी मिलाकर 77% की डिमांड

आयकर विभाग ने आगे जांच की तो पता चला कि मंदिर का ट्रस्ट आयकर एक्ट की धारा में रजिस्टर्ड नहीं है। इस हिसाब से आयकर विभाग ने मंदिर की इस पूरी आय पर नये आयकर नियम के तहत 77% टैक्स और पेनल्टी लगाकर करीब दो करोड़ रुपए की टैक्स डिमांड निकाली और फिर मंदिर को नोटिस भेज दिया। मंदिर समिति के प्रशासक एसडीएम रवि कुमार सिंह हैं।

मंदिर सरकारी है टैक्स लायबिलिटी नहीं बनती: SDM

मध्य प्रदेश का ये पहला मामला है जब भगवान को नोटिस दिया गया है। आयकर विभाग ने टैक्स डिमांड निकालने से पहले मंदिर प्रबंधन को पत्र भी भेजे थे लेकिन मंदिर समिति ने इन पत्रों की जानकारी मंदिर प्रशासक एसडीएम रवि कुमार सिंह को नहीं दी। आयकर विभाग का नोटिस मिलने पर प्रशासक ने आयकर विभाग के अधिकारियों से मुलाकात की। उन्होंने बताया कि मंदिर सरकारी ज़मीन पर बना है और ये प्रशासन के तहत आता है। इसलिए रजिस्टर्ड होना जरूरी नहीं है और टैक्स की जिम्मेदारी नहीं आती है।

नोटिस दे दिया, अब तो टैक्स पैनल्टी भरना ही होगा: आयकर विभाग

आयकर विभाग मंदिर प्रशासक के इन तर्कों से सहमत नहीं हुआ। क्योंकि टैक्स डिमांड निकाल चुका है इसलिए तकनीकी कारणों से बात नहीं बनी। आयकर विभाग का तर्क है कि खजराना मंदिर की तरह रणजीत हनुमान मंदिर एक्ट से संचालित नहीं है और न ही आयकर की छूट की धारा के तहत रजिस्टर्ड है। इसलिए उसे टैक्स पे करना होगा।
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