भोपाल। अस्थाई कर्मचारियों के आंदोलनों में भाग लेकर उन्हें नियमितीकरण के सपने दिखाने वाले मंत्री जीतू पटवारी अब वचनबद्धता दोहराते हुए समय गुजारने की कोशिश कर रहे हैं। जीतू पटवारी ने कहा कि एक निर्धारित नीति के तहत आने वाले 3 सालों में सभी अतिथि विद्वानों को नियमित कर दिया जाएगा। बताने की सरकार लोक सेवा आयोग के माध्यम से आयोजित होने वाली भर्ती परीक्षा में अतिथि विद्वानों को बोनस अंक (20) देने की योजना बना चुकी है। समस्या यह है कि जो अतिथि विद्वान ओवर एज हो गई उनका क्या होगा।
उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में एक बार फिर इस मुद्दे पर प्रेस के सामने आए। उन्होंने स्पष्ट तो नहीं किया परंतु उन्होंने यह जरूर कहा कि " मेहमान अब मेजबान होंगे"। अर्थ निकाला जा रहा है कि अतिथि विद्वानों की सेवा करते वहीं रहेंगी लेकिन उनके पद नाम बदल दिए जाएंगे, जैसा कि शिवराज सिंह शासनकाल में भी कुछ अन्य पदों पर हुआ है। शिवराज सिंह ने शिक्षाकर्मियों का पद नाम बदलकर अध्यापक कर दिया था लेकिन उन्हें नियमित नहीं किया था।
बीएससी पास सहायक प्राध्यापकों को नियुक्तियां क्यों दी गई
पिछली सरकार ने अपने कार्यकाल के 15 वर्षों में कोई नियमित नियुक्ति नहीं की। अतिथि विद्वान की व्यवस्था पूर्णतः अस्थायी व्यवस्था होती है तथा यूजीसी भी इस प्रकार की व्यवस्था लंबे समय तक रखने के पक्ष में नहीं है। यह विद्यार्थियों के हित में है कि कालेजों में नियमित शिक्षक पदस्थ हों। जनप्रतिनिधियों की भी यह मांग लगातार रही है, मगर इन सब तथ्यों के बावजूद वर्षों तक अतिथि विद्वानों का भविष्य पूर्ववर्ती सरकार ने अंधकार में रखा। अतः हमने लोक सेवा आयोग से चयनित 3148 अभ्यर्थियों को पदस्थ करने का निर्णय लिया है। यह उनका तथा विद्यार्थियों का उचित हक भी है। इनमें से लगभग 800 अतिथि विद्वान भी हैं।
अतिथि विद्वानों को बोनस अंक देंगे, आयु सीमा में छूट भी देंगे लेकिन परीक्षा पास करनी होगी
उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी ने कहा कि पिछली सरकार के गैरजिम्मेदाराना रवैये के कारण लगभग 4900 अतिथि विद्वानों के भविष्य को अंधकार में रखा गया और उनके नियमितिकरण की कोई प्रक्रिया नहीं की। कमलनाथ सरकार ने क्रान्तिकारी निर्णय लेते हुये इन्हें आगामी 3 वर्षों की परीक्षा में 20 अंकों का अधिभार तथा आयु-सीमा से छूट देने का निर्णय लिया है। इससे सभी पात्र लगभग 2000 अतिथि विद्वानों को लोक सेवा आयोग के माध्यम से चयनित होने में सहायता होगी तथा बचे हुए अतिथि विद्वानों को भी वैधानिक चयन प्रक्रिया के पात्र बनाने में सहयोग करेंगे।
वचन पत्र में नियमित करने की नीति बनाने का वादा था
उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी ने कहा कि वचन पत्र में यह उल्लेखित है कि अतिथि विद्वानों को रोस्टर के अनुसार नियमित करने की नीति बनाएँगे तथा पीएससी से चयन न होने की स्थिति में उनको निकाला नहीं जाएगा। माननीय मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ जी की मंशा के अनुसार हम एक भी अतिथि विद्वान को बाहर नहीं निकालेंगे। इसके लिए हमने एक नीति जारी कर दी है। नवीन नियुक्तियों के कारण बाहर जा रहे अतिथि विद्वानों को पुनः कार्य पर रखने के लिए च्वाईस फिलिंग की प्रक्रिया भी प्रारम्भ हो गई है, 1 जनवरी, 2020 से वे च्वाईस फिलिंग भी कर सकेंगे।
चॉइस फिलिंग के नाम पर अतिथि विद्वानों का तबादला होगा
अतिथि विद्वानों से हमारी अपील है कि जहां विद्यार्थियों को आवश्यकता है, वहाँ अतिथि विद्वानों को जाना चाहिए। हमने निर्णय लिया है कि अब कोई भी नया अतिथि विद्वान नहीं रखा जाएगा, जो अभी काम कर रहा है उसे ही काम करने का अवसर मिलेगा।
प्रक्रिया पूरी करने में 3 साल का समय लगेगा
हमने यह भी निर्णय लिया है कि माननीय न्यायालयों के निर्णय एवं आरक्षण के नियमों को ध्यान में रखकर नियमितिकरण की प्रक्रिया पर सुझाव के लिए अपर मुख्य सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग की अध्यक्षता में एक हाई पावर कमेटी का गठन किया जावे जो सभी तथ्यों को ध्यान में रखकर सुझाव दे सके। साथ ही कर्मचारी आयोग भी समग्र स्थिति पर विचार, उचित सुझाव सरकार को देगा। आज 800 अतिथि विद्वान चयनित होकर नियुक्ति आदेश पा चुके हैं। इसी प्रकार 20 अंकों का अधिभार तथा आयु-सीमा में छूट देकर कमलनाथ सरकार ने उनकी नियुक्ति का ही रास्ता खोला है। हमें विश्वास है कि इस व्यवस्था से सभी पात्र अतिथि विद्वान चयनित हो सकेंगे तथा आगामी 3 वर्षों में नियुक्त हो जाएँगे।
जीतू पटवारी ने कहा कि सभी अतिथि विद्वानों के लिए भी हमारी सरकार चिंतित है तथा उनके हित के लिए समुचित कार्यवाही अवश्य की जाएगी। हम अपनी प्रतिबद्धता को पुनः दोहराते हैं कि हम हर हाल में पूरी संवैधानिक प्रक्रिया का पालन करते हुए सभी अतिथि विद्वानों के नियमितिकरण का वैधानिक रास्ता साफ करेंगे।