भोपाल। प्रदेश के महाविद्यालयों में अध्यापन हेतु उच्च शिक्षा विभाग द्वारा नियुक्त अतिथि विद्वानों की अपने भविष्य को सुरक्षित करने के उद्देश्य से प्रारंभ की गई भविष्य सुरक्षा यात्रा बाबई से आज सुबह होशंगाबाद के लिए रवाना हुई।
बावई में रात में चौपाल लगाई, सरकार का अन्याय बताया
भोपाल। अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के संयोजक डॉ देवराज सिंह के अनुसार अतिथि विद्वानों की भविष्य सुरक्षा यात्रा को आमजन का अपार जनसमर्थन मिल रहा है। जिस स्थान से भी होकर यात्रा निकल रही है, आमजन व छात्र अभिभावक यात्रा का बड़ी संख्या में उपस्थित होकर स्वागत कर रहे है। इसी कड़ी में कल बाबई पहुँचने पर बाबई महाविद्यालय के विद्यार्थियों एवं उनके अभिभावकों द्वारा यात्रा का स्वागत किया गया। विशेषकर विद्यार्थियों के उत्साह ने यात्रा में शामिल उनके शिक्षकों का उत्साह कई गुना बढ़ा दिया है। कल बाबई में रात्रिविश्राम एवं भोजन इत्यादि की व्यवस्था भी स्थानीय जनसमुदाय एवं अभिभावकों द्वारा की गई थी।
स्वच्छता अभियान के साथ हुई यात्रा की शुरुआत
संघर्ष मोर्चा के संयोजक डॉ सुरजीत भदौरिया के अनुसार आज हमने स्वच्छ्ता अभियान के साथ अपनी यात्रा की शुरुआत की। साथ ही आज भारतरत्न बाबा साहब अम्बेडकर का महापरिनिर्वाण दिवस है इस अवसर पर यात्रा में शामिल सभी अतिथि विद्वान साथियों ने बाबासाहब के विचारों पर अपने अपने विचार व्यक्त किये।
उच्च शिक्षित, अनुभवी व सहायक प्राध्यापक परीक्षा में उत्तीर्ण है अतिथि विद्वान
अतिथि विद्वान नियमितीकरण मोर्चा के प्रवक्ता डॉ मंसूर अली ने लोकसेवा आयोग के तथाकथित चयनितों के आरोपों पर प्रहार करते हुए कहा है कि अतिथि विद्वानों को सोचि समझी रणनीति के तहत अयोग्य कह कर शासन को गुमराह किया जा रहा है। जिससे अतिथि विद्वानों के विरुद्ध माहौल बनाया जा सके जबकि चयनितों की तुलना में अतिथि विद्वान कहीं अधिक अनुभवी एवं शैक्षणिक योग्यताधारी है। सहायक प्राध्यापक परीक्षा में 126 अंक लेकर अपनी योग्यता का स्वयं गुणगान करने वाले लोगों के मुकाबले कई अतिथि विद्वान 300 से आधिक नंबर अर्जित करने के बावजूद सीटों की अनुपलब्धता के कारण चयन से वंचित रह गए है। जबकि अधिकतर अतिथि विद्वानों ने सहायक प्राध्यापक परीक्षा में उच्च मेरिट प्राप्त की है। इसके अतिरिक्त कांग्रेस सरकार ने वचनपत्र में केवल अतिथि विद्वानों को कंडिका 17.22 के अंतर्गत नियमितीकरण का वचन दिया था। जबकि तत्कालीन पीसीसी अध्यक्ष और वर्तमान मुख्यमंत्री कमलनाथ एवं दिग्विजय सिंह ने सहायक प्राध्यापक परीक्षा को व्यापम 2 की संज्ञा देकर स्वतंत्र एजेंसी से जांच की मांग की थी। डॉ मंसूर अली ने आगे कहा कि तथाकथित चयनित यह कह कर भ्रांति फैला रहे हैं कि सरकार ने उन्हें भी नियुक्ति का वचन दिया था, जो कि सफेद झूठ है। वचन केवल अतिथि विद्वानों को दिया गया है।
तथाकथित चयनित आखिर जांच से बचना क्यों चाहते है
यात्रा में साथ चल रहे डॉ जेपीए चौहान एवं डॉ आशीष पांडेय के अनुसार सहायक प्राध्यापक भर्ती परीक्षा को स्वयं कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं द्वारा महाघोटाला की संज्ञा दी गई थी। इसकी जांच के संबंध में विभिन्न याचिकाएं माननीय उच्च न्यायलय में लंबित है। उच्चशिक्षा विभाग आज दिनांक तक रोस्टर पंजी तक कोर्ट में उपलब्ध नही करा सका है। जबकि सबसे अधिक विवाद रोस्टर, महिला एवं विकलांग आरक्षण को लेकर ही है। मामला उच्च न्यायलय में लंबित होने के कारण सरकार भी नियुक्ति पत्र देने में विधिक कारणों से असमर्थ है। बावजूद इसके धरने में बैठे लोग जांच के डर से अन्यथा दबाव बनाकर जल्द नियुक्ति लेना चाहते है। यक्ष प्रश्न यह है कि यदि इनकी नियुक्ति सही है तो फिर वे जांच से डर क्यों रहे है। जो भी हो यह मामला भविष्य में और गरमाने वाला है क्योंकि कोर्ट में इस विवादित परीक्षा के निरस्त होने की स्थिति में पूरी प्रक्रिया ही समाप्त हो सकती है।