भोपाल। कांग्रेस सरकार से नियमितीकरण का वचन पूरा करने की मांग में अड़े महाविद्यालयीन अतिथि विद्वान अपने भविष्य की सुरक्षा के लिए भविष्य सुरक्षा यात्रा निकाल रहे हैं। इस भविष्य सुरक्षा यात्रा में बड़ी संख्या में महिला अतिथि विद्वान परिवार और बच्चों सहित सहभागिता कर रहे है। कुछ बुज़ुर्ग अतिथि विद्वान भी यात्रा में अपनी समस्त शारिरिक समस्याओं के बाद भी लंबी दूरी तय करते हुए सफर कर रहे है।
अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के संयोजकद्वय डॉ देवराज सिंह एवं डॉ सुरजीत भदौरिया के अनुसार कल यात्रा में शामिल कुछ महिला अतिथि विद्वानों की तबियत एकाएक खराब हो गई जिसके कारण उन्हें नज़दीकी चिकित्सालय में स्वास्थ्य लाभ के लिए भर्ती करना पड़ा है। विदित हो कि जबसे कांग्रेस सरकार ने सहायक प्राध्यापक भर्ती परीक्षा में तथाकथित चयनितों की जांच के स्थान पर नियुक्ति पत्र देने शुरू किया है, तबसे पूरे प्रदेश के अतिथि विद्वान बेहद तनाव में हैं। विशेषकर महिला अतिथि विद्वान परिवार सहित बड़ी संख्या में यात्रा में सहभागिता कर रही हैं।
पुरुषों के बाद अब महिला अतिथि विद्वान कराएंगी मुंडन
अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के प्रवक्ता डॉ मंसूर अली ने कहा है कि सरकार ने नियमितीकरण के नाम पर अतिथि विद्वानों को लगातार धोखे में रखा है। इसमे विरोध में लगभग आधा सैकड़ा अतिथि विद्वानों ने नर्मदा घाट में मुंडन करके सरकार को सद्बुद्धि देने की प्रार्थना की थी। डॉ मंसूर अली ने आगे कहा है कि यदि सरकार ने जल्द हमारे नियमितीकरण की प्रक्रिया वचनपत्र अनुसार प्रारंभ नही की तो नीलम पार्क भोपाल में कई महिला अतिथि विद्वान मुंडन करवाकर कांग्रेस सरकार की वचनपत्र को पूरा नही करने की नीति का विरोध करेंगी।
महिला अतिथि विद्वानों के खराब स्वास्थ्य के कारण यात्रा आज ओबैदुल्लागंज रुकेगी
मोर्चा के डॉ जेपीएस चौहान व डॉ आशीष पांडेय के अनुसार कुछ महिला अतिथि विद्वान साथियों को चक्कर, घबराहट, अत्यधिक थकान तथा बेहोशी की शिकायत के बाद उन्हें नज़दीकी स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती करवाना पड़ा है जहां उनका इलाज चल रहा है। इस कारण से आज यात्रा ओबेदुल्लागंज में ही विश्राम करेगी व 9 दिसंबर को भोपाल के लिए प्रस्थान करेगी। पिपरिया से ओबेदुल्लागंज तक लगातार पैदल यात्रा के कारण कई महिला साथियों एवं बुज़ुर्ग अतिथि विद्वानों का स्वास्थ्य खराब हो चुका है। महिला अतिथि विद्वानों के पैरों पर छाले तक पड़ चुके हैं लेकिन अनिश्चित भविष्य की चिंता ने उन्हें इस हद तक तनावग्रस्त कर रखा है कि वे अपने पैरों पर पड़े छाले भूलकर लगातार भोपाल की ओर बढ़ रही है।