भोपाल। मध्यप्रदेश के कटनी में बरगी नहर परियोजना के अंतर्गत किसान मुआवजा घोटाला सामने आया है। फर्जी किसानों को फर्जी चेक के माध्यम से मुआवजे का भुगतान कर दिया गया। सीबीआई ने मामला दर्ज कर लिया है। सीबीआई के इंस्पेक्टर अमित सेहरावत ने प्रकरण में भू-अर्जन अधिकारी बरगी परियोजना कटनी में सहायक ग्रेड-टू चंद्रकांता के बयान दर्ज किए। इस मामले में बरगी नहर परियोजना के अधिकारियों के अलावा बैंक अधिकारियों के साथ लिप्त होने की भी संभावना है।
मामला क्या है
बरगी नहर परियोजना कटनी का बैंक अकाउंट सेंट्रल बैंक में है। इस खाते से किसानों को उनकी मुआवजा राशि का वितरण किया जाता है। जुलाई 2016 में बरगी नहर परियोजना कटनी कार्यालय ने बैंक से 16 चेक बुक प्राप्त की। इनके माध्यम से कुछ किसानों को मुआवजा राशि का वितरण किया गया शेष चेक अभी भी बरगी नहर परियोजना कटनी कार्यालय में रखे हुए हैं। जबकि बैंक रिकॉर्ड के अनुसार 13 सितम्बर 2017 से 1 नवम्बर 2017 के बीच इन्हीं चेकों के माध्यम से किसानों को मुआवजे (4 करोड़ नौ लाख 84 हजार 470 रुपए का) का भुगतान कर दिया गया है। जांच की जद में आए फर्जी चेक पर भू-अर्जन अधिकारी बरगी कार्यालय में सहायक ग्रेड-दो की लिपिक चंद्रकांता महोरे के हस्ताक्षर पाए गए। जांच के दौरान पता चला कि यह हस्ताक्षर भी फर्जी हैं। जिस समय घोटाला हुआ उस समय वह प्रशासनिक अकादमिक प्रशिक्षण पर गई हुई थीं। अतः किसी अन्य व्यक्ति ने परियोजना कार्यालय में रखे हुए चेकों का क्लोन तैयार किया उस पर फर्जी हस्ताक्षर किए और भुगतान प्राप्त कर लिया।
बरगी नहर परियोजना: सीबीआई ने मामला दर्ज किया
28 नवंबर को सीबीआई ने मामला दर्ज किया। सीबीआई की एफआईआर में रितेश कुंडू, गोविंद प्रसाद, उमेश पांडेय, धीरज अग्रवाल, विशाल गुप्ता, जायधर, रूमेलाधर, राजीवधर, अमितधर और ग्रीन व्यू को आरोपी बनाया गया है। सीबीआई यह पता लगा रही है कि यह सारा घोटाला किसने किया। क्या इसमें बैंक के अधिकारी भी शामिल हैं।