भोपाल। शहर का कदीमी हमाम जो अब रॉयल हमाम के नाम से जाना जाता है वह चालू हो गया है। इस हमाम का निर्माण लगभग 300 वर्ष पहले हुआ था। नवाबी दौर में नवाब परिवार और शाही मेहमानों की सेवा के लिए हमाम का संचालन नवाब के खास हज्जाम हम्मू खलीफा को सौंपा गया था। तब से अब तक हम्मू खलीफा के वंशज इस विरासत को संभाले हुए हैं।
कदीमी हमाम में प्रवेश से पहले एक कक्ष है, जिसमें सर्दी में भी सामान्य वातावरण बना रहता है। इस कक्ष में वातावरण सामान्य से अधिक गर्म और नर्मी से भरपूर रहता है। इस कमरे में लगी दो छोटी गैलरियां हैं, जिनमें शीतलता रहती है। इन गैलरी से लगे कमरे के फर्श से उठती भाप शरीर को ऊष्मा से तर कर देती है। इस कमरे के फर्श के भीतर तांबे की 3 इंच मोटी परत बिछी हुई है गर्म होज के नीचे धातु का तवा है इस कमरे के ऊपर छत में मोटे कांच का रोशनदान है।
कमरे की नालियों से ताजी हवा की व्यवस्था है। इसके नीचे एक भट्टी बनी हुई है, जहां हमाम के दूसरी ओर लकड़ियां भर कर जला दी जाती हैं, जिनमें दहक़ से भाप का कमरा आद्र व गर्म हो जाता है। सन 1924 तक इस हमाम में आम जनता का प्रवेश वर्जित था। आज यह हमाम चालू स्थिति में है और भोपाल शहर के नागरिक इसका फायदा उठा रहे है।