भोपाल में स्मार्ट साइकिल घोटाला: अब ई-साइकिल से रिप्लेस करने की तैयारी है | BHOPAL NEWS

Bhopal Samachar
भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में स्मार्ट साइकिल घोटाला सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। यह जानते हुए भी कि शहर पहाड़ी है, उतार-चढ़ाव ज्यादा है, स्मार्ट साइकिल नहीं चल पाएंगी फिर भी खरीदी गई। अब इन साइकल्स की जगह बैटरी वाली ई साइकिल लाने की तैयारियां शुरू हो गई है। 

पब्लिक बाइक शेयरिंग प्रोजेक्ट के तहत खरीदी गई थी स्मार्ट साइकिल

भोपाल स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा जून 2017 में पब्लिक बाइक शेयरिंग प्रोजेक्ट के तहत 150 स्मार्ट साइकिल लॉन्च की गई थीं लेकिन साइकिलों का उपयोग नहीं किए जाने के कारण इन्हें अपग्रेड किया जा रहा है। स्मार्ट सिटी कंपनी के अफसरों की बैठक में पिछले दिनों इस पर सहमति बन चुकी है। ई-बाइक को मुंबई से ट्रायल के लिए भोपाल लाया जा चुका है। इसकी सफलता के बाद एजेंसी तय की जाएगी और शहर के सभी डॉकिंग स्टेशनों में ई-बाइक को रखवाया जाएगा। सभी स्टेशनों में चार्जिंग प्वाइंट भी बनाए जाएंगे। स्मार्ट सिटी कंपनी के प्रोजेक्ट इंजीनियर ओपी भारद्वाज ने बताया कि भोपाल शहर पहाड़ी वाला क्षेत्र है, इसलिए स्मार्ट साइकिलें ज्यादा सफल नहीं हो पाई। लिहाजा अब बैट्री चलित ई-साइकिल चलाई जाएंगी। वहीं, धीरे-धीरे स्मार्ट साइकिलें हटती जाएंगी।

पढ़िए मासूम अधिकारियों के बयान

अधिकारियों को कहना है कि भोपाल पहाड़ी क्षेत्र है, इसलिए स्मार्ट साइकिल फेल हो गईं। लेकिन बैट्री चलित ई-साइकिलों में यह समस्या नहीं आएगी। इसलिए अब ई-साइकिलें लाई जाएंगी, फिलहाल इसका ट्रायल चल रहा है। यह ई-साइकिलें बैट्री के साथ ही पैडल से भी संचालित होंगी, इसलिए सभी डॉकिंग स्टेशनों में इन्हें रखा जाएगा। सवाल यह है कि क्या अधिकारियों को स्मार्ट साइकिल खरीदने से पहले यह पता नहीं था कि भोपाल पहाड़ी क्षेत्र है। किसी भी प्रकार की खरीदी से पहले होमवर्क किया जाता है क्या स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में ऐसी कोई परंपरा नहीं है।

यह है योजनाबद्ध घोटाला 

दरअसल यह एक योजनाबद्ध घोटाला है। पहले स्मार्ट साइकिल खरीदी गई और फिर अब उन्हें अनुपयोगी बताकर हटाया जा रहा है। इस पूरी प्रक्रिया में वरिष्ठ अफसरों ने उस विद्वान इंजीनियर से एक सवाल तक नहीं किया जिसमें स्मार्ट साइकिल को भोपाल के लिए लाभदायक बताया था। जितने भी अधिकारियों ने स्मार्ट साइकिल की खरीदी के लिए स्वीकृति दी क्या वह सब स्मार्ट साइकिल के फेल हो जाने के लिए जिम्मेदार नहीं है। क्या सरकारी खजाने को इसी तरह से चुने लगाया जाएगा। क्या यह भ्रष्टाचार का एक नया एडिशन है। घटिया सामान खरीदो, उसे कबाड़ होने दो, और हटा दो।

इसलिए फेल हुई स्मार्ट साइकिल

- शहर में साइकिल ट्रैक नहीं होने के कारण साइकिल चलाना असुरक्षित है,जिससे लोग साइकिल की सुविधा का लाभ नहीं ले पाते।
- सड़कों के किनारे व फुटपाथ पर अतिक्रमण के कारण साइकिल चलाने में समस्या होती है। जहां व्यस्ततम ट्रैफिक है वहां साइकिल चलाना मुश्किल है।
- वर्तमान में होशंबागाद रोड, स्मार्ट रोड में ट्रैक है। यही वजह है कि नियमित राइडर्स भी यहीं हैं। इसके साथ ही शौकिया तौर पर बोट क्लब, प्रेमपुरा क्षेत्र और अरेरा कॉलोनी क्षेत्र में कुछ हद तक साइकिल का उपयोग किया जा रहा है।

यह है ई-बाइक की खासियत

ई बाइक में लीथियम बैट्री होगी। इसके साथ ही 250 वॉट की मोटर दी गई है। फुल बैट्री चार्ज होने पर एक बार में यह साइकिल 50 किमी तक चलेगी। ई बाइक की अधिकतम स्पीड 25 किमी प्रति घंटा होगी। बैटरी के डिस्चार्ज होने पर पैडल का उपयोग किया जा सकेगा। नागरिकों को निर्धारित किराए में उपलब्ध कराई जाएगी। ई बाइक में एलॉय व्हील व पैडल बूस्ट दिया गया है। इसके साथ ही स्मार्ट कनेक्टीविटी रहेगी। साइकिल एन्टीथेफ्ट व जीपीएस सिस्टम से युक्त होगी। इससे साइकिल की चोरी या टूट-फूट पर आसानी से नजर रखी जा सकेगी। इन बाइक्स को एप्पल व एंड्रॉइड मोबाइल से कनेक्ट किया जा सकता है। इससे साइकिल चलाने के बाद कितनी कैलोरी बर्न हुई इसकी जानकारी भी मिल सकेगी।

पीपीपी मोड से आएंगी ई-साइकिल...जनता से ली जाएगी राय

वर्तमान में संचालित हो रहीं स्मार्ट साइकिलों को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी मोड) से लाई गई थीं, इसमें साइकिल उपलब्ध कराने से लेकर इनके मेंटेनेंस और एक स्थान से लाने ले जाने का जिम्मा भी निजी एजेंसी के पास है। स्मार्ट सिटी कंपनी ने सिर्फ ट्रैक और डॉकिंग स्टेशन बनाए हैं। ई बाइक्स पीपीपी मोड के तहत लाई जाएंगी। स्मार्ट सिटी कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि ई बाइक संचालन के संबंध में नागरिकों से राय ली जाएगी। इसके बाद आगे की प्रक्रिया होगी।
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