DA/DR पर विलंब से हर वर्ग के साथ राजस्व में कमी; निर्णय प्रक्रिया में बदलाव की दरकार

भोपाल। कर्मचारियों,अधिकारियों/पेंशनरों को मूल्य सूचकांक आधारित डीए/डीआर की भुगतान की प्रक्रिया केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा अपनाते हुए हर छः माह में किश्त भुगतान किया जाता हैं ।  मप्र तृतीय वर्ग शास कर्म संघ के प्रांताध्यक्ष श्री प्रमोद तिवारी एवं प्रांतीय उपाध्यक्ष कन्हैयालाल लक्षकार ने कहा कि प्रदेश में केंद्र के मुकाबले  जुलाई 2019 से पांच फीसदी डीए/डीआर "भुगतान आदेश" की प्रत्याशा में लंबित चल रहा है। 

प्रदेश में सरकार द्वारा कार्यरत भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को केंद्रीय दर एवं तिथि से इसका भुगतान हो चुका है । मूल्य सूचकांक आधारित डीए/डीआर से कर्मचारियों/पेंशनरों  को अपने वेतन/पेंशन का स्तर महंगाई से सामना करते हुए अपनी क्रय शक्ति बरकरार रखने में मददगार होती हैं । डीए/डीआर में विलंब से कर्मचारियों एवं पेंशनरों की क्रय शक्ति में ह्रास होता हैं, इससे बाजार मंदी का शिकार होता हैं, परिणाम स्वरूप रोजगार प्रभावित होता हैं । इसका सीधा असर राजस्व कमी में परिलक्षित होता हैं। 

कुल मिलाकर डीए/डीआर में विलंब से कर्मचारियों/पेंशनरों में असंतोष व नाराजगी व्याप्त होती हैं वहीं रोजगार प्रभावित होकर राजस्व संग्रहण में कमी से सरकार की आर्थिक स्थिति भी कमजोर होती हैं । समग्र रूप से देखा जाए तो डीए/डीआर भुगतान प्रक्रिया में संशोधन करते हुए केंद्र सरकार के निर्णय के साथ ही एक ही आदेश से भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के साथ ही राज्य कर्मचारियों/पेंशनरों को डीए/डीआर भुगतान की मजबूत व्यवस्था कर्मचारियों/पेंशनरों, रेहड़ी, व्यापारियों, मजदूरों के साथ राज्य सरकार के लिए भी फायदेमंद होगा।

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