भोपाल। शिक्षा विभाग ने विगत दिनों 16 शिक्षकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी थी। इसकी तीखी प्रतिक्रिया स्वरूप मुखर विरोध प्रदर्शन पूरे प्रदेश में विभिन्न कर्मचारी/शिक्षक संघों द्वारा किया गया था। श्री संतोष शर्मा डीईओ छतरपुर द्वारा दिनांक 12/12/2019 को सर्वश्री सुरेन्द्र द्विवेदी, राजकुमार द्विवेदी, प्रेमनारायण पाल, विनोद पटेल,महेन्द्रकुमार पाल, बृजकिशोर पाठक, धीरेन्द्र नायक, अरविंद त्रिपाठी, रमाशंकर पटेल, धनीराम पटेल, सुरेन्द्र पटेल व रामविशाल वाजपेयी सहित लगभग आधा सैकड़ा शिक्षकों के खिलाफ मिडिया रिपोर्ट के आधार पर अनुशासनात्मक कार्रवाई प्रस्तावित कर फिर शिक्षकों को आक्रोशित कर उकसावे की कार्रवाई की है।
मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के प्रांताध्यक्ष श्री प्रमोद तिवारी एवं प्रांतीय उपाध्यक्ष कन्हैयालाल लक्षकार ने कहा है कि कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए शासन ने विभिन्न कर्मचारी संघों को मान्यता देकर यह अधिकार दिया है कि कर्मचारियों के हित संरक्षण हेतु आवश्यकता होने पर संविधान के दायरे में कानून व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए अहिंसक तरीके से अपना विरोध प्रदर्शन कर शासन तक अपनी आवाज़ बुलंद करें। शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षक कर्मचारियों के विरुद्ध सेवा समाप्ति जैसा कठोर निर्णय लिया गया इसके खिलाफ "विरोध प्रदर्शन" संवैधानिक अधिकार है।
छतरपुर में शिक्षकों ने शांति पूर्वक अहिंसक शासकीय संपत्ति को नुकसान पहुंचाए बगैर विरोध प्रदर्शन किया इसमें गलत क्या है ? डीईओ श्री शर्मा द्वारा प्रस्तावित अनुशासनात्मक कार्रवाई का मप्र तृतीय वर्ग शास कर्म संघ विरोध करते हुए संवैधानिक अधिकारों का हनन व दमनकारी कार्रवाई की घोर निंदा करता है। इस प्रकार की गैर जरूरी उकसावे की कार्रवाई से परहेज किया जावे। जिला शिक्षा अधिकारी अपनी कार्रवाई स्थगित कर सौहार्दपूर्ण वातावरण बनाये रखें नहीं तो वे व्यक्तिगत तौर पर जवाबदेह होंगे।