महिला बाल विकास विभाग, मध्यप्रदेश के प्रत्येक परियोजना मे पदस्थ ईसीसीई समन्वयक जो आँगनवाड़ी मे 3-6 साल के बच्चो के प्री स्कूल के लिए ईसीसीई नीति के तहत परियोजना स्तर पर कार्य करते है। इनकी नियुक्ति विधिवत् मध्य प्रदेश आनलाइन के माध्यम से 2015 मे परीक्षा हुई थी तथा 2016 मे नियुक्ति हुई थी, विधानसभा चुनाव से पहले शिवराज सरकार ने बजट का हवाला देकर इनकी सेवाए समाप्त करने का आदेश दिया था परंतु समन्वयको ने माननीय उच्च न्यायालय से स्थगन लिया तथा कार्य करते रहे।
वर्तमान कमलनाथ सरकार के गठन के साथ ही समन्वयक मुख्यमंत्री कमलनाथ से मिले जिस पर तत्कालीन फरवरी 2019 मे कार्य कर रहे समन्वयको को 6 माह का सेवा विस्तार इस वायदा के साथ दिया गया कि लोकसभा चुनाव के बाद हम पद सृजित कर सभी समन्वयको को सेवा मे रखेंगे। वचन के पक्के मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने 1 अगस्त 2019 को ऐसा किया भी और महिला बाल विकास विभाग को निर्देश दिया कि 7 दिन मे 453 पद सृजित की कार्रवाई करें। महिला बाल विकास प्रमुख सचिव द्वारा भी आनन-फानन मे दिनांक 3-8-2019 को ईसीसीई समन्वयको के पद सृजन का प्रस्ताव GAD को भेजा जिस पर GAD ने अभिमत देकर वित्त को भेजा ,इसी बीच विभाग द्वारा 313 बाल शिक्षा केन्द्र बनाए गए जो पूर्ण रूप से ईसीसीई केन्द्र है तथा सभी ISO प्रमाणीकृत है जिसमे कार्यरत समन्वयको ने बखूबी भूमिका निभाई, वित्त ने पद सृजित करने की नस्ती महीनो से अपने पास रखी, और अब माननीय मुख्यमंत्री के आदेश पर भी असहमति व्यक्त कर ईसीसीई समन्वयको को बेरोजगार करने की तैयारी कर ली।
इसी बीच माननीय उच्च न्यायालय की युगल पीठ ने भी 453 पद सृजन पर सैद्धांतिक सहमति दे दी। सवाल यह उठता है कि क्या प्रदेश के मुख्यमंत्री के दिए गए निर्देश व वचन भी कोई ऐहमियत नही रखते वित्त के इन अधिकारियों के सामने, जबकि इनके मामले मे सीधे मुख्यमंत्री जी के निर्देश है। इस तरह के कृत्य युवाओ की भावनाओ के साथ खिलवाङ करते है। माननीय मुख्यमंत्री जी को इस पर संज्ञान लेना चाहिए ,जिससे उनके वचन के साथ ईसीसीई समन्वयक भी बेरोजगार न हो।